मानक को दरकिनार कर करवाया जा रहा ब्लास्टिंग कूप निर्माण
प्रयागराज।ब्यूरो राजदेव द्विवेदी। पानी की समस्या का वास्तविक हल तो जल संरक्षण और संग्रहण के पुराने व प्राकृतिक स्रोतों को बचाने और उन्हें पुनर्स्थापित करने में है। पथरीली जगहों पर जहां वास्तव में पेयजल के लिए कृतिम प्रबंध फेल हो चुके हैं इसीलिए इसे ब्लास्टिंग कूप का नाम दिया गया। मसलन इन कुओं की खुदाई पहाड़ों पर पत्थर तोड़कर की जानी है जिससे संकट आने पर आस-पास के गांव में सिंचाई के साथ-साथ पीने का पानी उपलब्ध करवाया जा सके लेकिन आला अफसरों की लापरवाही का नतीजा यह है कि लघु सिंचाई विभाग से निर्माण कराए जा रहे ब्लास्ट कूप में मानकों की अनदेखी की जा रही है। सूत्रों की मानें तो सरकारी अफसर ठेकेदारों के साथ कमीशन खोरी के दलदल में गहरे धंसे हैं।एक ऐसे समय जब पूरी दुनिया आसन्न जल संकट से निपटने के लिए छटपटा रही है वही ब्लास्टिंग कूप स्थाई पानी उपलब्ध कराने में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।वहीं जानकारों की माने तो इस लेंथ के कुओं से न केवल लंबे समय तक पेयजल और सिंचाई उपलब्ध होगी बल्कि वाटर रिचार्ज के लिए भी यह उपयुक्त है। विकासखंड शंकरगढ़ क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम सभा चुंदवा मजरा ताला पार ब्लास्टिंग कूप का निर्माण सरकारी नाले में करवाया जा रहा है। ब्लास्टिंग कूप में जेई, जेईएमआई व ठेकेदार के गठजोड़ से मानक को दरकिनार करके आधा अधूरा कार्य करवा कर कागजी कोरम पूरा किया जा रहा है। मानक को ताक पर रखकर किए गए कार्यों से किसानों में काफी आक्रोश है। बताते चलें कि यह कोई पहला मामला नहीं है पूर्व में भी विकासखंड शंकरगढ़ क्षेत्र के अंतर्गत लगभग तीन दर्जन ब्लास्टिंग कूप का निर्माण करवाया गया है। कई ग्राम पंचायतों में खदान में ही पत्थर से जुड़ाई करवा कर ब्लास्टिंग कूपों को बनवा दिया गया।क्षेत्र के ज्यादातर चयनित हुए ब्लास्टिंग कूपों में ठेकेदारों,जेई व जेईएमआई के द्वारा मानक को दरकिनार करके आधा अधूरा कार्य करवा कर कागजी कोरम पूरा कर लिया गया।