बी,एड, की परीक्षा भी नहीं रोक पाई कार सेवा में जानें से

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बी,एड, की परीक्षा भी नहीं रोक पाई कार सेवा में जानें से

कुशलगढ, बांसवाड़ा।अरूण जोशी ब्यूरो चीफ। बांसवाड़ा जिले की कुशलगढ़ तहसील से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जो कार्यकता राम शीला पूजन, अयोध्या रज पूजन, रामज्योती पूजन जैसे कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले सभी कार्यकर्ताओं ने नवंबर 1992 में कार सेवा में जाने का दृढ़ निश्चय कर लिया था। कुशलगढ़ से मैं दिग्पाल सिंह राठौड़ एवं हमारे मार्गदर्शक स्वर्गीय सुभाष पंचाल, स्वर्गीय महेश पंड्या, स्वर्गीय जयेश निमा, धुलाराम,नरसिंह जैसे छः कार्यकताओं ने चाहे जो मजबूरी रहे मगर अयोध्या जाना ही है तय कर चुके थे , घर वालों का स्पष्ट कारसेवा में जाने देने का संकेत नहीं मिल रहा था ,मेरी बी, एड, की दिसंबर 1992 में परीक्षाएं होने वाली थी , कुछ लोगों ने 1990 की घटना के आधार पर डराने का भी काम कर रहे थे । मगर सुभाष जी पांचाल का स्पष्ट आग्रह था कि हम लोगों ने कुशलगढ़ की गली-गली में और क्षेत्र में दूर दराज के गांव तक जाकर रामशिला का पूजन करवाया है और हमने स्वयं भी ,,सौगंध राम की खाई है की मंदिर वहीं बनाएंगे ,,ऐसी स्थिति में हम सब प्रमुख लोगों का कर्तव्य है कि हम इस राष्ट्रीय कार्य में अपनी आहुति दें। 1990 की घटना के बाद अधिकांश लोग इस बात से डरे हुए थे कि इस बार फिर गोलियां चल सकती हैं और नरसिंह राव सरकार किसी भी स्थिति में कार सेवकों को अयोध्या नहीं जाने देगी हम सब ने तय किया कि हमें जाना ही है 30 नवंबर 1992 को छः कारसेवकों को मोहन भाई पंचाल, मुकेश जी निमा, रामशंकर जी पंड्या ने पुष्टाहार पहना कर ,वाया ताम्बेसरा वाले रोडवेज बस में बांसवाड़ा के लिए रवाना किया था।बांसवाड़ा हम विश्व हिंदू परिषद कार्यालय भारत माता मंदिर पहुंचे जहां जिले के सभी कारसेवकों का एकत्रीकरण था , रात्रि में सभी कर सेवकों को यात्रा में की जाने वाली सावधानियां एवं अनुशासन के साथ इस कर सेवा में भाग लेने का आह्वान किया गया और कहा गया कि यह हिन्दू समाज के स्वाभिमान की रक्षा का अवसर है । 1 दिसंबर को हम बांसवाड़ा से रतलाम रेलवे स्टेशन पहुंचे जहां से अवध एक्सप्रेस में बैठकर हम फैजाबाद के लिए रवाना हुए रास्ते में अनेक स्थानों से कारसेवकों के हुजूम ट्रेन में चढ़ते गए कोटा पहुंचते पहुंचते पुरी ट्रेन कार सेवकों से भर गई थी । हमें केवल कुछ विशेष स्थान पर ही जय श्री राम का उदघोष लगाने के निर्देश थे। सभी कार सेवक रेलवे स्टेशन आने पर शांत हो जाते थे हम 2 दिसंबर की रात 11:00 बजे के बाद फैजाबाद के आसपास पहुंचे जहां हमारी ट्रेन को 15-16 किलोमीटर पहले ही रोक दिया गया और कहा गया कि यहां से आगे जाने की ट्रेन को अनुमति नहीं है जिन्हें भी उतरना है यही उतर जाए। हम सभी कार सेवक अनजान जगह पर उतर गए कड़ाके की ठंड और रात का समय हम वहां से आगे कुछ दूर चलने लगे । अचानक हमें एक विश्व हिंदू परिषद का कार्यकर्ता मिला परिचय के पश्चात उसने हमें अपने साथ चुपचाप चलने का आग्रह किया हम 20-25 लोग उनके पीछे-पीछे चलते गए 10 12 किलोमीटर चलने के बाद हमें रुकने का संकेत किया गया हम एक सरकारी क्वार्टर नुमा स्थान पर रुक । वह विश्व हिंदू परिषद का कार्यकर्ता हमारे लिए कुछ भोजन सामग्री लाया हमने वह खाना खा कर फिर उस कार्यकर्ता के पीछे-पीछे खेतों में होकर चलते रहे रात गहरा रही थी लगभग 3:00 बजे हमें एक स्थान पर रुकने का कहा गया की अब आगे नहीं जा सकते। सुबह के समय यहां से आगे निकलेंगे गन्ने के खेतों में खतरा हो सकता है । हमने उस स्थान पर लगभग दो ढाई घंटे विश्राम किया और सुबह 5:00 बजे फिर उसे कार्यकर्ता के पीछे-पीछे चलते गए लगभग 16 17 किलोमीटर चलने के बाद 7:30 बजे के आसपास अयोध्या के बाहर जहां राजस्थान के चित्तौड़ प्रांत के लोगों को ठहरने की सुविधा थी वहां हम पहुंच गए। हमने अयोध्या के उसे बाहरी क्षेत्र का मौका मुआयना कर विश्राम किया। 4 दिसंबर की सुबह हम सरयू नदी में स्नान के लिए गए और वहां से सीधे विवादित स्थल पर रामलला के दर्शन पूजन करने पहुंच गए वहां पर हमने देखा कि चारों ओर कार सेवकों का हुजूम उमड़ा हुआ था। और सभी कारसेवक जोश से लबरेज थे,हमारा भी उत्साह उन्हें देखकर दुगना हो गया सभी कार सेवक अपने-अपने आवास स्थल पर श्रीराम जय राम जय जय राम के भजन कीर्तन कर रहे थे 5 दिसंबर की सुबह 11:00 बजे हम फिर सरयू नदी में स्नान कर एक बार पुनः अंतिम बार विवादित स्थल पर रामलला के दर्शन करने पहुंचे जहां पर हमने सुना की बीबीसी का संवाददाता मार्क टुली यह गलत समाचार प्रसारित कर रहा है कि कार सेवक अयोध्या में भूखे मर रहे हैं यह सुनकर वहां उपस्थित सभी कर सेवकों में गुस्सा पैदा हुआ। 6 दिसंबर की सुबह 9:00 बजे हम सरयू में स्नान कर निर्धारित सभा स्थल पर आगे बैठने के उद्देश्य से जल्दी पहुंच गए वहां पर 11:00 बजते बजते पांव रखने की भी जगह नहीं थी कई लोग पेड़ों पर और दूर दराज की इमारत पर भी खड़े थे। नेताओं के उद्बोधन शुरू हुए कुछ नेता कह रहे थे कि हमें प्रतीकात्मक कारसेवा ही करनी है । यह सुनकर कार सेवकों का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और कुछ लोग कहने वालों की प्रतीकात्मक कारसेवा ही करनी थी तो फिर हमें क्यों बुलाया गया इसके लिए तो अयोध्या के लोग ही काफी थे।11:30 के आसपास सभा स्थल के उत्तरी छोर से आवाज आने लगी की कुछ लोग गुंबज पर चढ़ गए हैं 12 बजते बजते मंच से आह्वान होने लगा कि जो लोग विवादित ढांचे पर चढ़े हैं वह नीचे उतर जाएं लेकिन हजारों की भीड़ गुंबदों के आस-पास जय श्री राम का उदघोष लगाने लगी , तभी मंच से कुछ लोग नीचे उतारते हुए दिखाई दिए , कुछ बड़े नेता सभा स्थल छोड़कर जा रहे थे अब मंच पर साध्वी ऋतंभरा आचार्य धर्मेंद्र और उमा भारती की आवाज़ सुनाई देने लगी साध्वी ऋतंभरा जी कह रही थी कि,, एक धक्का और दो बाबरी ढांचा तोड़ दो,, तो उमाभारती कह रही थी कि ,, राम नाम सत्य है बाबरी ढांचा ध्वस्त है।कारसेवकों का उत्साह जोरों पर था चारों ओर एक ही आवाज आ रही थी ,, जयश्री राम हो गया काम,,हमें भी 3:00 बजे के बाद विवाद स्थल पर बुलाया गया राजस्थान के सभी कार सेवको ने 3:00 से शाम 5:00 बजे तक लगातार 2 घंटे तक विवादित स्थल के मलबे को हटाने का काम किया । ऐसा लग रहा था मानो भगवान श्री राम की सेना जय श्री राम के उदघोष के साथ गुलामी के प्रतीक चिन्ह को उखड़ रही है। हम 6 दिसंबर 1992 की रात्रि वही रहे और 7 दिसंबर को श्याम 4:00 बजे बाद हमें अयोध्या खाली करने के निर्देश दिए गए जहां से हम ट्रेन में बैठकर पुनः 8 दिसंबर को रतलाम पहुंचे और रतलाम से पुलिस कस्टडी में हमें बांसवाड़ा सेंट्रल जेल ले जाया गया जहां पर परिचय आदि लिखने के पश्चात पुलिस के वहां में ही हमें कुशलगढ़ तक छोड़ गया । मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूं कि प्रभु श्री राम ने मुझे इस गुलामी के प्रतीक चिन्ह को हटाने में सहभागिता करने का अवसर प्रदान किया।जय श्री राम (दिग्पाल सिंह राठौड़ कारसेवक 1992)


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