पाश्चात्य संस्कृति छोड़ धार्मिक संस्कृति अपनाएं :आचार्य सुन्दर सागर
बड़ोदिया, बांसवाड़ा।अरूण जोशी ब्यूरो चीफ। आचार्य सुंदर सागर महाराज ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति से आने वाली पीढ़ी को बचाना है तो धार्मिक पाठशालाओं का संचालन जरूरी है। उन्होंने कहा कि धार्मिक पाठशाला के माध्यम से बच्चों में संस्कार पड़ेंगे और यही संस्कार आने वाला भविष्य तय करेंगे। यह विचार आचार्यने आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर बड़ोदिया में धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।उन्होंने कहा कि आज का युवा पश्चात संस्कृति की लपेट में इतना आ गया है कि हमारा पारंपरिक भोजन छोड़कर फास्ट फूड को ही अपनाकर जी रहा है। जबकि यही फास्ट फूड बच्चों की मानसिक तक को कमजोर करने वाला होता है । इसलिए पाश्चात्य संस्कृति के खान-पान रहन-सहन को छोड़ पारंपरिक संस्कृति को अपना कर अपनी संस्कृति धर्म की रक्षा करना चाहिए।
बड़ोदिया से बांसवाड़ा के लिए विहार-सुन्दर गुरू भक्त संयम आर जैन ने बताया कि आचार्य सुंदर सागर महाराज ससंघ का मंगलवार प्रातः कलिजरा से विहार कर बड़ोदिया नगर प्रवेश हुआ तो श्रद्धालुओं ने नगर प्रवेश के दौरान जगह-जगह आचार्य का पाद पक्षालन किया। इसके उपरांत गाजे बाजे के साथ श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर ले जाया गया। प्रातः श्री जी का जलाभिषेक व शांतिधारा का धर्म लाभ जयंतीलाल चोखलिया परिवार को मिला । संचालन आशीष भैया तलाटी ने किया । इस अवसर पर समाज के कांतिलाल खोडणिया, मगनलाल खोडणिया, अम्रतलाल खोडणिया, सोहनलाल दोसी, रमेशचन्द्र तलाटी,पवन तलाटी, कमलेश दोसी, राजेन्द्र खोडणिया, सुरेशचंद्र जैन, रमेश चंद्र चोखलिया के अलावा बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित थे। सायं बांसवाड़ा के लिए विहार-आचार्य सुंदर सागर महाराज संघ का सायं बड़ोदिया से बांसवाड़ा के लिए विहार हुआ ।इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।बसंतलाल खोडणिया व मोहित तलाटी ने बताया कि आचार्य का अंदेश्वर तीर्थ पर एक दिन प्रवास के उपरांत कलिंजरा बड़ोदिया विहार करते हुए श्री शीतल तीर्थ रतलाम की ओर विहार चल रहा है। वहां पर 22 से 28 फरवरी तक श्री पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन होगा जहां पर आचार्य श्री का सानिध्य रहेगा।