इंसान की इच्छाएँ ही भटकाती औंर आत्मा को संसार में अटकाती है: उपप्रवर्तिनी दिव्य प्रभाश्री
भीलवाड़ा। (पंकज पोरवाल) इच्छाएँ ही मनुष्य को भटकाती और आत्मा को संसार में अटकाती है। यह बात अहिंसा भवन शास्त्रीनगर में उप प्रवर्तिनी महासती दिव्यप्रभा ने आयोजित धर्मसभा में श्रृद्वालूओ को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होने किहा कि मनुष्य की महत्वाकांक्षा इतनी है कि वो जिंदगी भर तक उसे पूरा करे तब भी वो अपनी इच्छाओं को पूरा नहीं कर सकता है क्योंकि संसार में इच्छाओं का कौई अन्त नहीं है, एक इच्छा पूरी करेगा तो दूसरी इच्छा जागृत हो जाएगी। इच्छाओं पर नियंत्रण रखने वाला व्यक्ति ही संसार से अपनी आत्मा को मुक्ति दिला सकता है इच्छाओं के गुलाम और दास बनने वाला व्यक्ति संसार में दुःख भोगता है और आत्मा को संसार के भटकाव से बाहर नहीं निकाल सकता है। साध्वी निरूपमा ने कहा कि मनुष्य कि जरूरते कम है, लेकिन उसकी इच्छाओ का कौई अनन्त नहीं है। साध्वी आर्याश्री ने भजन के माध्यम से अपने भाव व्यक्त किए थे। श्री संघ के मंत्री दिनेश मेहता ने जानकारी देते हुए बताया संघ के मुख्य मार्ग दर्शक अशोक पोखरना अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह बाबेल विनोद बोहरा,सरदार सिंह कावड़िया जसवंत सिंह डागलिया आदि पदाधिकारियों और श्रृद्वालुओं ने धर्मसभा से पूर्व साध्वी मंडल के अहिंसा भवन पधारने पर अगवानी करते हुए अभिनन्दन किया गया। नियमित प्रवचन प्रातः 9.15 से 10.15 बजे तक होगे।