संबंधित विभाग जानकर भी बन रहा अनजान
प्रयागराज।ब्यूरो राजदेव द्विवेदी। सरकार की ओर से गांव-गांव कराए जा रहे विकास कार्यों के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इस धनराशि से टीडीएस और जीएसटी जमा करने में खेल किया जा रहा है। गांवों में हो रहे निर्माण कार्यों से नाम मात्र का टैक्स जमा कर हेरा फेरी से लाखों का टैक्स से चोरी किया जा रहा है। वाणिज्य कर विभाग द्वारा इसकी समय-समय पर जांच न करने से ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत व अन्य योजनाओं से आने वाली धनराशि से बड़े पैमाने पर टैक्स की चोरी हो रही है। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में आयकर विभाग जिले के सरकारी कार्यालयों के विभागाध्यक्षों और उनके अकाउंटेंट के साथ टीडीएस कटौती और जीएसटी जमा करने के लिए प्रत्येक वर्ष कार्यशाला का आयोजन किया जाता है। टैक्स को किस रूप में जमा करना है इसकी भी विधिवत जानकारी दी जाती है। नियमानुसार बिजली विभाग, पी डब्ल्यू डी, लघु सिंचाई विभाग, स्वास्थ्य विभाग, नगर पंचायत, सांसद निधि, विधायक निधि जिला पंचायत क्षेत्र पंचायत ग्राम पंचायत आदि विभाग से हुए कार्यों में मटेरियल आपूर्तिकर्ता फर्म के बिलों से भुगतान के दौरान संस्थाओं को दो प्रतिशत टीडीएस कटौती कर संबंधित विभाग को बिल काटकर आयकर विभाग को अदा करना होता है। सूत्रों की माने तो संबंधित विभाग काट तो लेता है लेकिन जमा नहीं करता है। वहीं आपूर्तिकर्ता को मटेरियल खरीद कर जीएसटी के रूप में 12 से 18 प्रतिशत टैक्स जमा करना होता है। फर्म को आईटीआर भरने पर उसके बिल से काटा गया दो प्रतिशत टीडीएस फर्म को वापस करने का भी प्रावधान है। लेकिन बाद में बिल भुगतान में कटौती की गई टीडीएस और मटेरियल आपूर्तिकर्ता की जमा की गई जीएसटी के मिलान का भौतिक सत्यापन नहीं किया जा रहा है जो जांच का विषय है।फर्में टिन डिडक्शन नंबर लेने के बावजूद मामूली जीएसटी जमा कर टैक्स चोरी कर रही हैं। कार्यदाई संस्थाएं टैक्स चोरी के साथ कुछ इस तरह से गोलमाल करती है। सूत्र बताते हैं कि शंकरगढ़ क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों में सेल्स टैक्स के भौतिक सत्यापन न करने से करोड़ों रुपए के इंटरलॉकिंग, ईंट सरिया सीमेंट मोरंग आदि मटेरियल खरीद भुगतानों से दो प्रतिशत की टीडीएस कटौती नहीं करती। कार्यदाई संस्था इंटरलॉकिंग ईंट, बालू ,सीमेंट, भट्टा ईंट मामूली या बिना मटेरियल खरीदे ही फॉर्म को लाखों रुपए का चेक दे देती है। फर्म चेक को अपने अकाउंट में लगाकर नगदी भुगतान कराने के बाद पांच प्रतिशत काटकर बाकी रुपए कार्य दही संस्था को नकद या किसी नजदीकी के खाते में भुगतान कर देती है। जिसका फर्जी बिल काटकर कार्यदाई संस्था को दे देती है। इन्हीं फर्जी बिलों के जरिए कार्यदाई संस्था बिल लगाकर खाते में भुगतान करा लेती है। सरकारी योजनाओं के तहत करोड़ों के काम कराये जा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इसमें टीडीएस और जीएसटी का टैक्स जमा होना चाहिए पिछले कुछ सालों से इसका ऑडिट भी नहीं हुआ है। जिसमें जमकर खेल किया जा रहा है जो जांच का विषय है। सूत्र बताते हैं कि शंकरगढ़ क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों में लाखों की टैक्स चोरी हो रही है फिर भी संबंधित विभाग जानकार कैसे अनजान बना हुआ है यह जांच का विषय है। अब देखने वाली बात यह होगी कि संबंधित विभाग की कुंभकर्णी निद्रा भंग होती है या नहीं, टैक्स चोरों पर शिकंजा कसा जाएगा अथवा सब कुछ ऐसे ही चलता रहेगा और सरकारी राजस्व को टैक्स चोरों द्वारा चूना लगाया जाता रहेगा।