दौसा 4 मार्च। लालसोट से 10 किलोमीटर पश्चिम दिशा मे कोथून रोड पर बड़कापाडा स्थित दिल्ली बॉम्बे ओद्योगिक कोरिडोर के इंटरचेंज के पास मे बसा 400 वर्ष पुराना एक छोटासा गांव अजबपुरा जिसकी स्थापना कीमव्दन्तियो के अनुसार अजबसिंह नाम के व्यक्ति ने की इसलिए गांव का नाम पड़ा अजबपुरा। अजबपुरा मे महेश दाधीच का पांच भाइयों का 29 सदस्यों का संयुक्त परिवार आज भी चार पीढ़ियों को एकता के सूत्र मे पिरोये हुये है। जो आस पास के इलाके मे अनुकरणीय आदर्श है।
परिवार के अपने नियम है जिनका पालन करना प्रत्येक सदस्य की जिम्मेदारी बनती है। सारे परिवार का आय व्यय का लेखा जोका बड़े भाई के हाथों मे है। आज भी इस भौतिकता वादी व एकांकी युग मे एक चूल्हे पर खाना बनता है। परिवार के सभी सदस्य मिलजुल कर ऐसे रहते है जैसे राम राज्य की परिकल्पना साकार होती हो, महिलाओ का अपनत्व तो अद्वितीय है, मानो सगी बहिने एक जगह रहती हो परिवार मे अशांति व अविश्वास का कोई स्थान नहीं। एक का सुख सब का सुख, एक का दुख सब का दुख, ऐसा अपनत्व एक दूसरे के प्रति समर्पण व त्याग का बेजोड़ संगम जिसको कोरोना काल जैसी भयानक समस्याएं भी इस संगम को विचलित नही कर सकी। यही संयुक्त परिवारों की सबसे बड़ी ताकत होती है। जहाँ सबकी भावनाओं को एक छत के नीचे समझने व समाधन का सब को अवसर मिलता है। परिवार के सभी सदस्यों को अपनी बात रखने का अधिकार है किसी भी सदस्य पर अधिकार थोपे नही जाते बल्कि मर्यादा स्वावलम्बन और स्व कर्तव्यों को समझने के प्रति कर्तव्य परायणता के, सिद्धांतो को आत्मसात करने का बोध करवाया जाता है परिवार के सभी सदस्यों का एक ही सकल्प है की हमारा सयुंक्त परिवार आगे बढ़े और लोगों का आदर्श बन सबको एक साथ रहने, एक साथ चलने, एक साथ सोचने, एक साथ बैठने का संदेश दे। संघे शक्ति कलौ युगे संगठन मे ही शक्ति होती है बिखरने के बाद परिवार का कोई अस्तित्व शेष नही रह जाता है। सबकी अपनी अपनी जिम्मेदारियां तय है जो सूर्योदय की पहली किरण के साथ शुरू होकर सूर्यास्त तक अनवरत चलती रहती हैं। परिवार की सम्पतियों मे बटबाटा व अलगाव क्या होता है किसी भी सदस्य ने न देखा और न अब तक जाना इतने सदस्य एक साथ रहकर एक दूसरे का सम्मान मर्यादा व संस्कारो का बराबर सम्मान किया किया जाता है। परिवार की बहुओं को परिवार मे बेटियों के समान दर्जा मिलता है युवा पीढ़ी संस्कारो से पोसित है।
रामगोपाल, कैलाश, सुरेश, महेश, राजेश सहित पाचो भाइयों मे सबसे बड़े रामगोपाल दाधीच है जिन के निर्देशन मे परिवार का आदर्श संचालन होता है। सभी एक साथ बैठ कर भोजन करते है। परिवार मे महत्वकांक्षा को कोई जगह नहीं मतदान करना हो या कहीं एक साथ चलने का काम हो समूह बना कर निकलते हैं। बाजार का काम हो या रिश्तेदारी मे जाना हो तो कभी अकेले नहीं जाते कोई न कोई भाई साथ अवश्य होता है। सच्चे मायने मे संयुक्त परिवार की सही परिकल्पना लिए एक छत के नीचे कम ज्यादा संसाधनों के साथ हंसमुख प्यार भरी भावनाओं के साथ एक साथ रहना ही सच्चा परिवार कहलाता है। जो एक आदर्श होता है।
महेश दाधीच का परिवार चाहे राष्ट्रीय पर्व, समाजिक सरोकार के राष्ट्रीय अभियान, मतदाता जागृति अभियान, समाजिक सेवा, पर्यावरण संरक्षण, पशु पक्षीयो की सेवा का काम हो अपनी सकारात्मक भूमिका अदा करता रहता है। संयुक्त परिवार व बागवानी के क्षेत्र मे दाधीच की अपनी एक अलग पहचान है जो लोगों को एक नई प्रेरणा देती है।