मनुष्य जीवन विषय वस्तु को भोगने के लिए नहीं मिला है, बल्कि भक्ति को प्राप्त करने के लिए बना है – पंडित मुरारी लाल पाराशर
डीग।अमरदीप सैन। 16 मार्च। शहर के ऐतिहासिक लक्ष्मण मंदिर पर आयोजित हो रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के द्वितीय दिवस व्यास पीठ पर विराजमान पूज्य भागवत आचार्य पंडित मुरारी लाल पाराशर ने राजा परीक्षित संवाद एवं सुकदेव जन्म सहित अन्य प्रसंग की कथाओं का वर्णन किया।
भागवताचार्य पाराशर ने कहा कि एक बार परीक्षित महाराज वन में चले गए ।उनको प्यास लगी तो समीक ॠषि से पानी मांगा ।ऋषि समाधि में थे। इसलिए पानी नहीं पिला सके ।परीक्षित ने सोचा कि साधु ने साधु ने अपमान किया है। उन्होंने मरा हुआ सांप उठाया और समिक ऋषि के गले में डाल दिया। यह सूचना पास में खेल रहे बच्चों ने समुक ॠषि के पुत्र को दी। ऋषि के पुत्र ने श्राप दिया कि आज के सातवें दिन तक्षक नामक सर्प आएगा और राजा को जलाकर भस्म कर देगा।
श्रीमद् भागवत कथा वर्णन करते हुए पाराशर ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कर पा रहे हैं क्योंकि जिन्हें गोविंद प्रदान करते हैं जितना प्रदान करते हैं उसे उतना ही मिलता है। कथा में यह भी बताया कि अगर आप भागवत कथा सुनकर कुछ पाना चाहते हैं। कुछ सीखना चाहते हैं तो कथा में प्यासे बनकर आए ।कुछ सीखने के उद्देश्य से कुछ पाने उद्देश्य से आए तो यह भागवत कथा जरूर आपको कुछ नहीं बल्कि बहुत कुछ देगी।
उन्होंने कहा मनुष्य जीवन विषय वस्तु को भोगने के लिए नहीं मिला है, लेकिन आज का मानव भगवान की भक्ति को छोड़ विषय वस्तु को भोगने में लगा हुआ है। उसका सारा ध्यान सांसारिक विषयों को भोगने में ही लगा हुआ है ।मानव जीवन का उद्देश्य कृष्ण प्राप्ति शाश्वत है ।
उन्होंने कहा कि हमारे जीवन का उद्देश्य कृष्ण को पाकर ही जीवन छोड़ना है और अगर हमने यह दृढ़ निश्चय कर लेंगे कि हमें जीवन में कृष्ण को पाना यह तो हमारे लिए इससे प्रभु से बढ़कर कोई और सुख संपत्ति या संपदा नहीं है।
इस मौके पर सुभाष सराफ, सुंदर सरपंच ,मुकुट नसवरिया ,हरेश बंसल, रमेश अरोड़ा ,राधेश्याम तंबोलिया ,गीता तमोलिया, पुष्पा झालानी सहित बड़ी संख्या में महिला पुरुष भक्त उपस्थित थे।