सोशल मीडिया रील्स पर अभासी प्रशंसा पैसा कमानेे की ललक में रिश्ते हो रहे है तार-तार

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समाज एवं परिवार के लिए अभिशाप बन रहा है मनोरंजन का ये ट्रेंड

सवाई माधोपुर 03 मई। वर्तमान समय में देश में जिस तरह सोशल मीडिया की लत ने लोगों को एकाकी बना दिया है वहीं दूसरी और इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रील्स अपलोड करने का पागलपन हर उम्र के लोगों में देखने को मिल रहा है। विशेषकर युवा एवं महिला वर्ग द्वारा रील्स अपलोड की जा रही है उसी तरह रील्स को देखने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रील्स बनाने वालों के साथ-साथ देखने वाले लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहा है। वर्तमान में खासतौर पर जिस तरह की रील्स बन रही हैं वे गलत कटैंट दे रही हैं, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जल्दी सफल होने के लिए गलत तरह के कटैंट दिखाए जा रहे है, देखने वाले भी अच्छे कंटैंट नहीं देखते। इसके लिए लोग गलत कटैंट बनाकर अपलोड कर रहे हैं. सोशल मीडिया एप ऐसे कटैंट को रोक नहीं रहा। वह इनको ज्यादा प्रमोट करता है। इसलिए लोग तेजी के साथ गलत कटैंट बनाकर इस अभासी दुनिया में अपनी प्रशंसा एवं धन कमाने की जुगत में लगें हुए है।
वर्चुअल स्क्रीन पर पल पल सामने आती रील्स और अजब-गजब वीडियोज पर नजर डाले तो यह बात प्रतीत होती है कि इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के आभासी संसार में महिलाएं काफी समय बिता रही हैं। साथ ही देश भर के हर हिस्से में सोशल मीडिया के प्रति महिलाओं की इस तरह बढ़ती सनक के गंभीर परिणाम सामने आने लगे हैं। इस जुनून के चलते ना केवल महिलाओं और बहन-बेटियों के लिए असुरक्षा के हालात पैदा हुए है बल्कि आपराधिक घटनाएॅ भी हो रही हैं। ठहराव और मन की दृढ़ता के मान पाले वाली भारतीय स्त्रियों द्वारा रील्स और वीडियोज में साझा की जा रही सामग्री वाकई हैरान करने वाली है।
रिश्तों को तार-तार कर रहा है मनोरंजन का ये ट्रेंड:- मजाक के नाम पर हर दर्जे की असभ्य बातें और नृत्य के नाम पर अश्लील हाव-भाव स्वयं स्त्रियॉ ही परोस रहीं हैं। कहीं ग्रामीण महिलाएं कुएं में झूलती चारपाई पर बैठी रील्स बनाकर जीवन को खतरे में डाल रहीं तो कहीं बीच सड़क पर चारपाई बिछा कर रील बनाकर नियम कानून तोड़ रहीं है। तो कहीं भैंस पर चढ़कर नृत्य कर रही हैं तो कई फूहड़ता भरे अश्लील नृत्य कर रही है। परिस्थितियॉ ऐसी है कि छोटे-छोटे गांवों कस्बों में बसी घर परिवार संभाल रहीं महिलाएॅ भी इस पागलपन का शिकार हो चली है। बहुत से घरों में उनके अपने इनके रील्स बनाने के इस जुनून से परेशान हैं। रोक-टोक करने पर आपराधिक घटनाएॅ तक हो रही है। कई जगह पत्नी के रील्स के जुनून से व्यथित होकर पतियों ने आत्महत्या कर ली तो कहीं मना करने पर पत्नी घर छोड़कर चली गई। सोशल मीडिया पर चल रही रील्स के इस दौर में नाबालिग लड़कियॉ, युवतियॉ और घर-परिवार की जिम्मेदारी निभा रहीं महिलाएं तक अपनी सुध-बुध खो रही हैं। ना केवल सोशल मीडिया पर अजनान चेहरों से मित्रता कर असुरक्षा को न्योता दे रहीं हैं बल्कि रील्स बनाने एवं फोलोवर लाईक बढ़ाने की व्यग्रता, मानसिक सेहत पर बुरा असर कर रहीं है इसके बाद भी आभासी प्रशंसा एवं पैसा कमाने की जुगत में रील्स को हीट बनाने और लाखों व्यूज पाने के लिए हद पार कर रही हैं। लाईक फोलोवर बढ़ाने के फेरे में गलत कदम उठा रही है। अंततः यह परिवार के बिखराव का कारण बनता जा रहा है समय रहते अपनों की समझाइश का कोई असर नहीं दिखता।
सोशल मीडिया का सेहत पर खराब प्रभाव पड़ रहा है.:- सोशल मीडिया का सबसे अधिक इस्तेमाल युवा वर्ग के लोग करते हैं, इसलिए युवाओं पर इसका असर ज्यादा पड़ रहा है, सोशल मीडिया पर हर दूसरी पोस्ट रील्स ही नजर आ रही है युवाओं से लेकर सभी उम्र के लोगोें में रील्स बनाने का क्रेज सिर चढ़कर बोल रहा है, यह युवाओं की पढ़ाई पर नकारात्मक असर डाल रही है। स्कूल से लेकर कॉलेज तक के युवा एक से बढ़ कर एक रील्स अपने सोशल मीडिया पर अपलोड कर रहे है। युवा वर्ग अलग-अलग जगहों पर जाकर रील्स तैयार कर रहे हैं रील्स पर सक्रिय दिखर रहे युवा असल मायनों में सामाजिक जुड़ाव से कटते जा रहे हैं। युवाओं का ज्यादतर समय आभासी दुनिया में गुजर रहा है। रील्स बनाते समय कई युवा दुर्घटना का भी शिकार हो रहे है। छोटे छोटे बच्चों को भी इसका शौक होने लगा है। जबकि जानकार लोग कहते हैं कि छोटे बच्चों को मोबाइल नहीं देना चाहिए। इसके चलते शारीरिक सक्रियता कम होने लगती है और मानसिक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

 


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