प्रयागराज। क्षेत्र की अरसे से चली आ रही कई छोटी बड़ी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है।ऐसे में लोकसभा चुनाव में आम जन मानस किसको वोटिंग करेगा ये कहना मुश्किल है। प्रयागराज से जहां गठबंधन प्रत्यासी उज्ज्वल रमण सिंह अपना पूरा दम खम लगाकर चुनाव मैदान में हैं वहीं भाजपा ने एक बार फिर नए चेहरे पर दांव लगाकर जीत का दावा ठोंक रही है।बता दें कि शंकरगढ़ विकास खंड 76 ग्राम सभाओं का एक बड़ा क्षेत्र है। यहां 200 से अधिक ग्राम सभाओं के अलावा शंकरगढ़ नगर पंचायत भी है। यहां सिंचाई, पेयजल, बिजली, व्यावसाय, ट्रेनिग कालेज, खेलकूद का मैदान, महिला इलाज, रेलवे फ्लाई ओवर,पावर प्लांट के प्रदूषण से लेकर कई मूल भूत समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं लेकिन इनका आज तक हल नहीं निकाला गया। लोगों की माने तो वो इस बार भाजपा से काफी नाराज हैं। शायद भाजपा भी इस बात को भांप गई है इसलिए उसने अपने प्रत्याशी के समर्थन में प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ,गृहमंत्री अमित शाह सहित दिग्गजों की फौज रैली, रोड शो और जनसंपर्क कर रही है। अगर उज्ज्वल रमण की बात की जाय तो उनके पिता रेवती रमण सिंह करछना से आठ बार विधायक, उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भाजपा के दिग्गज मुरली मनोहर जोशी और श्यामाचरण गुप्ता को हराकर दो बार सांसद बने थे। गठबंधन प्रत्यासी उज्ज्वल रमण सिंह भी करछना से विधायक और सपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं । लोगों ने बताया कि भाजपा प्रत्याशी का कोई राजनीतिक कैरियर नही है ऐसे में गठबंधन प्रत्याशी का पलड़ा भारी नजर आ रहा है।
समस्याएं बेशुमार , ऊहापोह में फंसा मतदाता
शंकरगढ़ नगर में पेयजल के प्रतिवर्ष हाहाकार मचता है। कोई भी पेयजल योजना अभी तक कारगर साबित नही हुई। ग्रामीण क्षेत्रों के लखनपुर, बेनीपुर, शिवराजपुर, गाढ़ा कटरा, हड़ही, भैंसहाई, बिहरिया आदि ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में हैंडपंप गर्मियों में हवा देते हैं। लखनपुर और बिहरिया में पानी की टंकी का निर्माण हुआ, लोगों को नल का कनेक्शन दिया गया लेकिन पानी नही। सुरसा की तरह मुंह फैलाए समस्या बढ़ती ही गई। इसका एक कारण क्षेत्र में लगी सिलिका इकाई , आरो प्लांट, छोटे छोटे उद्योगों द्वारा जल का अति दोहन भी है।
सिंचाई के साधन का अभाव, परती पड़ी जमीनें
क्षेत्र के मिश्रापुरवा, बेरूई, कपारी, कपसो, लकहर, अमिलिहाई , मलापुर, वैशा, शिवराजपुर, बेनीपुर, गाढ़ा कटरा, हदही, रमना, बिहरिया, बड़गड़ी, टकटई, भैंशहाई, लेदर, पचासा, हिनौती पांडें आदि सैकड़ों गांव असिंचित हैं। यहां सिंचाई के अभाव में खेत बिना बोए ही परती पड़े रहते हैं। कांग्रेस के हेमवती नंदन बहगुणा ने दो फेज नहर का निर्माण करके कुछ इलाकों को सिंचित किया था लेकिन उनके जाने के बाद विकास की गति को विराम लग गया।
लाखों की लागत से बना मिनी आई टी आई फांक रही धूल
शंकरगढ़ विकास खंड के नगर पंचायत शंकरगढ़ ,राम भवन चौराहा के पास राजकीय बालिका इंटर कॉलेज परिसर से 24 साल पहले बनी मिनी आई टी आई धूल फांक रही है।इसे उत्तर प्रदेश ग्रामीण अभियंत्रण सेवा द्वारा बनाया गया था।तत्कालीन जिलाधिकारी आलोक टंडन की मौजूदगी में तत्कालीन मानव संसाधन व विज्ञान प्रौदौगिकी मंत्री भारत सरकार डॉ मुरली मनोहर जोशी के हाथों 19 जनवरी सन 1999 को इसका उद्घाटन भी हुआ लेकिन कक्षाएं आज तक नही चली।
उद्घाटन के बाद भी नही शुरू हुआ स्टेडियम
शंकरगढ़ क्षेत्र में ” खेलेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया” योजना के तहत डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी ने 1993 में टाउन एरिया की 6 बीघा जमीनों में खेल कूद के स्टेडियम के लिए उद्घाटन किया था।उसका निर्माण भी शुरू हुआ लेकिन आधा अधूरा निर्माण आज तक पड़ा हुआ है। आज तक वह स्टेडियम क्षेत्र के बच्चों के लिए नहीं तैयार किया जा सका जिससे लोगों में आक्रोश है।
राजकीय बालिका इंटर कॉलेज का हाल बेहाल
शंकरगढ़ नगर पंचायत के राम भवन चौराहे के पास स्थित राजकीय बालिका इंटर कॉलेज का हाल बेहाल है। बताया गया कि इस कॉलेज की स्थापना सन 1968 में हुई थी विज्ञान वर्ग की मान्यता होने के बावजूद भी यहां भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान ,गणित जैसे महत्वपूर्ण विषयों के अध्यापक की नियुक्ति न होने से आज तक क्षेत्र की बालिकाएं इन वैज्ञानिक शिक्षाओं से वंचित हैं।
चालीस साल से बना महिला अस्पताल बना उपेक्षा का शिकार
शंकरगढ़। सदर बाजार के बीचों बीच महिलाओं के इलाज के लिए लगभग 40 साल पहले बनाया गया महिला अस्पताल आज भी उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। कागजों में शंकरगढ़ में महिला अस्पताल तो है लेकिन वहां पर महिलाओं के इलाज के लिए कोई महिला डॉक्टर नियुक्त नहीं है। वर्तमान में महिला अस्पताल के खिड़की दरवाजे गेट आदि चोर उठा ले गए। बताया गया कि वहां पर अब जुआरियों – शराबियों का अड्डा रहता है।
ओवर ब्रिज न बनने से लगता है भयंकर जाम , मरीजों को होती है समस्या
शंकरगढ़ मुख्य बाजार के बीचो-बीच से मुंबई हावड़ा रेलवे लाइन है। पास में ही शंकरगढ़ रेलवे स्टेशन भी है। बाजार से सटे हुए सेन नगर के पास नारीबारी रोड पर भी रेलवे फाटक है। क्षेत्रीय लोग अरसे से इन दोनों फाटकों पर ओवर ब्रिज बनाने की मांग कर रहे हैं लेकिन हर बार चुनाव में ओवरब्रिज बनाने का वादा करने वाले सांसद विधायक चुनाव जीतने के बाद इसे भूल जाते हैं। ब्रिज न बनने से आए दिन जाम लगा रहता है । लोगों में झगड़े होते रहते हैं और मरीजों को भारी समस्या उठानी पड़ती है।
गल्ला मंडी के अभाव से क्षेत्रीय किसानों को हो रही है मुसीबत
नगर पंचायत शंकरगढ़ लगभग चालीस हजार की जनसंख्या वाला एक बड़ा नगर पंचायत है। यहां एक बड़ा विकासखंड भी है। बड़ा ग्रामीण इलाका होने के साथ लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती है।लेकिन क्षेत्र में कोई गल्ला मंडी ना होने की वजह से यहां के किसान औने पौने दाम पर बाहर की मंडियों में अपना अनाज बेंच कर अपने आप को ठगा महसूस करता है।
बस अड्डा के अभाव में यातायात के लिए होती है भारी मुसीबत
शंकरगढ़ क्षेत्र में कोई भी बस अड्डा ना होने की वजह से यहां के क्षेत्रीय लोग प्रयागराज या अन्य गंतव्य जाने के लिए परेशान रहते हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर स्थित होने के कारण शंकरगढ़ में दूसरे प्रांत से भी यात्री आते हैं लेकिन यहां पर यात्रा करने का कोई सुगम साधन उपलब्ध न होने से परेशान रहते हैं। बताया गया कि पूर्व में यहां पर महानगरीय बस सेवा का संचालन हुआ था लेकिन कुछ महीने पहले उसे भी बंद कर दिया गया।
एक ही पावर हाउस के सहारे सैकड़ों गांव , प्रस्तावित पावर हाउस अधर में
शंकरगढ़ क्षेत्र के विकासखंड कार्यालय के पास पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का विद्युत उप केंद्र स्थापित है। इसी उप केंद्र से चार फीडर में 76 ग्राम सभाओं और नगर पंचायत में विद्युत की सप्लाई की जाती है । बताया गया कि इस पावर हाउस के अंतर्गत लगभग 11500 कनेक्शन धारी हैं। शंकरगढ़ से जूही तक जाने वाली यह लाइन काफी लंबी है इसलिए लोगों ने दूसरे पावर हाउस की मांग की थी जिससे लोगों को बिजली की समस्या से निजात मिल सके । सरकार और विभाग द्वारा जमीन चिन्हित भी की गई लेकिन कई वर्षों बाद भी आज तक जूही गांव में प्रस्तावित पावर हाउस नहीं बन सका।
पच्चीस साल बाद भी नहीं लगी रिफाइनरी औने पौने दाम में ली गई थी जमीन
बारा/शंकरगढ़ क्षेत्र में लगभग 25 साल पहले 12 गांवों के 817 लोगों की लगभग पच्चीस सौ एकड़ जमीनों का अधिग्रहण रिफायनरी लगाने के लिए किया गया था। 25 साल बाद भी उक्त जमीनों पर रिफाइनरी नहीं लग सकी है जिससे क्षेत्रीय लोगों में मायूसी है। रिफाइनरी लगने का मुद्दा पूर्व सांसद रेवती रमण सिंह ने सदन में भी उठाया था लेकिन आज तक उसे पर कोई कार्रवाई नहीं हुई । 25 साल पहले किसानों ने रोजगार के लालच में सस्ते दामों पर जमीन देने को राजी हो गए थे लेकिन अब वो अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। अपनी जमीनों से जहां किसान वंचित हो गया वहीं रोजगार न मिलने से वे मायूस हैं।