पर्यावरण दिवस स्पेशल स्टोरी: रायला के ईरांस गांव के युवाओं का पौधारोपण मिशन

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एक हजार पौधे प्रति वर्ष लगाए, जीवित रहे इसका किया पुख्ता इंतजाम

शाहपुरा| ‘कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों’ – इन पंक्तियों को साकार करते हुए, रायला के ईरांस गांव के युवाओं ने पिछले पांच वर्षों में 5,000 से अधिक पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया है। बंजर भूमि पर हरियाली का अद्भुत कार्य करते ईरांस गांव की बंजर जमीन पर 5,000 पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने का कार्य इन युवाओं की लगन और मेहनत का परिणाम है। विकास की अंधाधुंध दौड़ में जहां हर रोज हजारों पेड़ों की बलि दी जा रही है, वहीं ईरांस के ग्रामीणों ने जल, जंगल, जमीन और पर्यावरण को बचाने के संकल्प के साथ एक मिसाल कायम की है। वर्ष 2019-20 में 101 पौधे लगाकर इस अभियान की शुरुआत की गई थी। नेहरू युवा केंद्र भीलवाड़ा से जुड़े युवाओं ने अपने खर्च से 100 पौधे लगाकर पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था। इस सफलता के बाद, महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से ग्राम पंचायत ने युवाओं के सहयोग और ग्रामीणों की श्रम शक्ति के आधार पर 20 बीघा चारागाह भूमि को सुरक्षित किया और 3 साल में लगभग 5,000 पौधे लगाए। इन पौधों की देखभाल के लिए पानी की व्यवस्था स्वयं के स्तर पर बोरवेल द्वारा की गई।
जन्मदिन पर पौधारोपण का अनूठा रिवाज= ईरांस गांव में एक अनोखी परंपरा है कि यहां के युवा अपने जन्मदिन पर केक काटने के बजाय पौधा लगाते हैं और उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेते हैं। यह न केवल पर्यावरण को संरक्षित करने का एक अद्भुत तरीका है, बल्कि यह समाज में जागरूकता फैलाने का भी उत्कृष्ट उदाहरण है।
सार्वजनिक स्थानों पर पौधारोपण= गांव के सार्वजनिक स्थानों और देवस्थानों पर भी पौधारोपण किया गया है। भामाशाहों के सहयोग से 1,000 पौधे और ट्री गार्ड दिए गए हैं, जो हर घर के बाहर समांतर श्रेणी में लगे हुए हैं। इन पौधों को पानी पिलाने के लिए भामाशाहों ने पर्यावरण मित्र मंडल को पानी का टैंकर निशुल्क भेंट किया है।
पर्यावरण मित्र मंडल की भूमिका= पर्यावरण मित्र मंडल के सहयोग से लगे हुए ट्री गार्ड में पौधे बड़े होने पर उन गार्ड्स को दूसरे पौधों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इससे पेड़ों को जानवरों से बचाने में मदद मिलती है। गांव के ही पर्यावरण मित्र मंडल के सदस्य सांवरलाल जाट ने बताया कि चाहे खुशी का अवसर हो या जन्मदिन, आम नागरिक एक पौधा अवश्य लगाते हैं और उसकी देखभाल करते हैं।महत्वपूर्ण व्यक्तियों का दौरा= नेहरू युवा केंद्र के राज्य निदेशक डॉ. भुवनेश जैन, पद्मश्री प्राप्त श्याम सुंदर पालीवाल, पूर्व राजस्व मंत्री रामलाल जाट, जिला कलेक्टर आशीष मोदी, नवग्रह आश्रम के संस्थापक अध्यक्ष हंसराज चौधरी, उपखंड अधिकारी संदीप कुमार खेदर, तहसीलदार भंवरलाल सेन, और जिला प्रमुख बरजी देवी भील सहित कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने ईरांस गांव का दौरा किया और इस कार्य की सराहना की ओर युवाओं को प्रेरित किया है ।प्रेरणादायक उदाहरण== ईरांस के युवाओं ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जो प्रयास किए हैं, वे अत्यंत प्रेरणादायक हैं। इस गांव के युवाओं ने यह साबित कर दिया कि संकल्प और मेहनत से किसी भी बंजर जमीन को हरा-भरा बनाया जा सकता है। आज, ईरांस गांव में चारों ओर हरियाली ही हरियाली है और यह गांव शुद्ध हवा प्रदान कर रहा है।
अनुशासन और नियम== गांव में पर्यावरण संरक्षण के प्रति अनुशासन भी स्थापित किया गया है। यहां यदि कोई व्यक्ति पेड़ काटता है तो उसे ₹5,100 का जुर्माना भरना पड़ता है और इसके साथ ही पांच नए पौधे लगाकर उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी दी जाती है। पेड़ पौधों के पास से मिट्टी उठाने पर भी जुर्माना तय किया गया है। ईरांस गांव की हरियाली के कारण यहां तरह-तरह के पक्षी अपने आशियाने में बसे हैं और इस गांव की खूबसूरती में चार चांद लगा रहे हैं।ईरांस गांव के युवाओं ने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में जो कार्य किए हैं, वे पूरे देश के लिए एक मिसाल हैं। पर्यावरण दिवस के इस विशेष अवसर पर हम सभी को इन युवाओं से प्रेरणा लेकर अपने क्षेत्रों में अधिक से अधिक पौधारोपण करना चाहिए और अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखना चाहिए। ईरांस गांव के युवाओं का यह प्रयास पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो हमें सिखाता है कि यदि हम ठान लें तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है।


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