भीलवाड़ा|पेसवानी: स्थानीय भदादाबाग वीर सावरकर चौक निवासी और सिंधी समाज के प्रतिष्ठित सदस्य शतायु भागचंद भोजवानी का बुधवार को 102 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया। उनके निधन से शहर में शोक की लहर दौड़ गई।
जीवन परिचय
सिंधी समाज के प्रवक्ता मूलचंद बहरवानी ने बताया कि स्वर्गीय भागचंद, जिन्हें भागूमल के नाम से भी जाना जाता था, अपनी शारीरिक दिव्यांगता के बावजूद अद्वितीय जीवटता के धनी थे। उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में बिना किसी की सहायता के आत्मनिर्भरता से जीवन व्यतीत किया। उनकी चार पुत्रियाँ हैं, जिन्होंने अपने पिता के जीवन को प्रेरणादायक बताया।
व्यक्तित्व और समाज सेवा
भागचंद भोजवानी अपने संपूर्ण जीवनकाल में सदैव हंसते मुस्कुराते हुए सभी से मिलते थे। उनकी इस सकारात्मकता और जिंदादिली के कारण वे समाज में अत्यंत लोकप्रिय थे। उन्होंने अपने जीवन में कई लोगों को प्रेरित किया और समाज सेवा में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
अंतिम यात्रा और श्रद्धांजलि
बुधवार शाम को उनके परिजनों द्वारा उनके निवास स्थान से गाजे-बाजों के साथ उनकी शवयात्रा निकाली गई। इस दौरान सैकड़ों समाजजन, व्यापारिक प्रतिष्ठानों के प्रतिनिधि, विभिन्न राजनैतिक दलों के नेता, और संबंधी उपस्थित थे। सभी ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
हरि शेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर की ओर से उनके शव पर पखर ओढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस धार्मिक अनुष्ठान में उनके प्रति सम्मान और प्रेम का प्रदर्शन किया गया।
समाज की सहभागिता
उनकी अंतिम यात्रा में सिंधी समाज सहित विभिन्न समाजों के सैकड़ों लोग शामिल थे। सभी ने मिलकर उन्हें विदाई दी और उनके जीवन से मिली प्रेरणाओं को याद किया। उनकी मृत्यु से सिंधी समाज में एक बड़ा शून्य उत्पन्न हो गया है, जिसे भर पाना कठिन होगा।
स्मृतियों में भागचंद भोजवानी
भागचंद भोजवानी का जीवन संघर्ष और आत्मनिर्भरता की एक जीती जागती मिसाल था। उन्होंने अपने जीवनकाल में जिन मूल्यों और सिद्धांतों को अपनाया, वे आज भी समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उनकी मुस्कान और जिंदादिली हमेशा याद की जाएगी।
समाज में योगदान
भागचंद भोजवानी ने अपने जीवन में सामाजिक कार्यों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों की मदद करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास किए। उनके इन प्रयासों के कारण वे समाज में अत्यंत सम्मानित और प्रिय थे।
परिवार और समाज के प्रति समर्पण
चार पुत्रियों के पिता भागचंद भोजवानी ने अपने परिवार को भी मजबूत नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी। उनके परिवार ने हमेशा उनके आदर्शों का पालन किया और समाज सेवा में योगदान दिया।
अंतिम विदाई
उनकी अंतिम यात्रा के दौरान लोगों ने उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को याद किया और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। उनके निधन से शहर में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व का अंत हुआ है, लेकिन उनकी स्मृतियाँ हमेशा जीवित रहेंगी।
भागचंद भोजवानी का जीवन संघर्ष, आत्मनिर्भरता और सेवा की एक अद्वितीय कहानी है। उनके निधन से न केवल उनका परिवार, बल्कि पूरा समाज एक प्रेरणास्त्रोत से वंचित हो गया है। उनकी यादें और उनके द्वारा दिए गए जीवन के संदेश हमेशा लोगों को प्रेरित करते रहेंगे।