तीर्थराज विमल कुंड की महिमा अपरंपार – श्री हरि चैतन्य महाप्रभु

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कामां 15 जून| तीर्थराज विमल कुण्ड स्थित श्री हरि कृपा आश्रम के संस्थापक एंव श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण की क्रीड़ास्थली रही ब्रज के द्वादश वनों के पंचम प्रमुख वन आदि वृंदावन धाम काम्यकवन,कामवन, कामां की महिमा व श्री कृष्ण द्वारा स्थापित तीर्थराज विमल कुंड की महिमा अपरंपार व अवर्णनीय है। पौराणिक व ऐतिहासिक इस पावन नगरी के तीर्थों व तीर्थराज विमल कुंड के दर्शनों के लिए भारत ही नहीं विदेशों के कृष्ण भक्त भी लाखों की संख्या में प्रतिवर्ष यहां पहुंचते हैं। तीर्थराज के बहुत ही घटते हुए जलस्तर के कारण सभी संत ,भक्त व कस्बावासी अत्यधिक व्यथित थे। शासन प्रशासन से गुहार के बाद चंबल के जल से भरने की प्रक्रिया प्रारंभ तो हुई उसके लिए धन्यवाद देते हैं लेकिन विलंब से हुई इस प्रक्रिया व बहुत ही कम मात्रा में आ रहे जल के कारण गंगा दशहरा पर श्रद्धालुओं को पर्याप्त जल न होने के कारण असुविधा अवश्य होगी। यही प्रक्रिया समय पर प्रारंभ होती तो तीर्थराज विमल कुंड की छटा ही कुछ और होती। हमारा अनुरोध है कि आगे से सभी समय से जागरूक होकर श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान करते हुए जल की व्यवस्था करें।

उन्होंने कहा कि आराम तलब आदमी कभी भी लौकिक क्षेत्र में या पारलौकिक क्षेत्र में सफलता प्राप्त नहीं कर सकता‌ यदि कोई व्यक्ति किसी वस्तु पदार्थ को पाना चाहता है उसके लिए प्रयास करता है और यदि थक्कर बीच में अपना विचार ना बदल दे तो उसे अवश्य ही प्राप्त कर लेता है। यदि व्यक्ति पुरुषार्थ करें तो ईश्वर भी उसकी सहायता करता है। उन्होंने कहा कि सबसे महान व्यक्ति वह है जो दृढ़तम निश्चय के साथ सत्य का अनुसरण करता है । जो व्यक्ति उद्योग वीर है वह कोरे वाग्वीर व्यक्तियों पर अधिकार जमा लेता है। जिसे हमारा हृदय महान समझे वह महान है। आत्मा का निर्णय सदा सही होता है। किसी का तिरस्कार ना करें। जो भी देखें, सुने या पढ़ें उस पर विचार करें,किसी को भी नुकीले व्यंग बाण ना चुभायें अतार्थ ऐसा कुछ ना बोलें जिससे किसी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचे। किसी का दिल दुखे या प्रेम, एकता,सद्भाव नष्ट हो जाए, अशांति हो जाए कलह- क्लेश या वैमनस्य पैदा हो जाए। हमारे हृदय उद्धार व विशाल होने चाहिए। आज मनुष्य का मस्तिष्क विशाल तथा हृदय सिकुड़ता चला जा रहा है। अकड़ या अभिमान नहीं होना चाहिए।

अपने धारा प्रवाह प्रवचनों से उन्होंने सभी भक्तों को मंत्र मुग्ध व भावविभोर कर दिया। सारा वातावरण भक्तिमय हो उठा व “श्री गुरु महाराज” “कामां के कन्हैया” व “लाठी वाले भैय्या ”की जय जयकार से गूंज उठा।

इससे पूर्व यहाँ पहुँचने पर क्षेत्रीय, स्थानीय व दूरदराज से आए भक्तजनों ने फूल मालाएं पहनाकर, पुष्प वृष्टि करते हुए आरती उतारकर “श्री गुरु महाराज” “कामां के कन्हैया”व “लाठी वाले भैय्या ” की जय जयकार के साथ पूर्ण धार्मिक रीति से भव्य व अभूतपूर्व स्वागत किया ।


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