कामां 17 जून|तीर्थराज विमल कुण्ड स्थित श्री हरि कृपा आश्रम के संस्थापक एंव श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर व विश्व विख्यात संत स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने आज यहां श्री हरि कृपा आश्रम में उपस्थित विशाल भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि ईश्वर ही सत्य है। समस्त संसार मिथ्या है। परमात्मा को प्राप्त सत्पुरुष में दिखने वाले गुण भी सत् है । जैसे सद्गुण,सद्भाव, सद्विचार, सदव्यवहार व सत्यभाषण इत्यादि जिसमें यह सब है वह सत्पुरुष हैं । तथा ऐसे सत्पुरुषों,उनके विचारों या सदाचारों का संग ही सत्संग है। संग का प्रभाव अवश्य पड़ता है। अच्छा संग करो, अच्छा देखो, अच्छा बोलो, अच्छा सुनो, अच्छा विचारो। सत्संग का जीवन में प्रत्यक्ष फल सेवन करते ही दिखाई देगा। जिनका जीवन कौए व बगुले जैसा है वह कोयल व हंस जैसे बन जाएंगे। उनकी वाणी में कोमलता, सह्रदयता, मिठास इत्यादि होंगे व दिखावे से रहित अंदर व बाहर से पवित्र, विवेकशील बन जाएंगे ।
अपने दिव्य व ओजस्वी प्रवचनों में उन्होंने कहा कि संत तो संतता के गुणों से है ना कि बाहरी वेशभूषा, दिखावा इत्यादि से। साधु, भक्त या महात्मा बनकर जो लोगों को धोखा देते हैं वह स्वयं को धोखा देते हैं। वह अपना जीवन पापमय बनाते हैं दूसरों का अहित चाहने वाले या करने वाले का कभी भी हित नहीं होता है। पतन या पाप का कारण प्रारब्ध नहीं है बल्कि विवेक का अनादर करके कामना के वश में होने पर मनुष्य पाप कर करता है तभी उसका पतन होता है। किसी भी स्थिति,अवस्था,प्राणी , पदार्थ , वस्तु आदि से जो सुख की आशा रखता है वह कभी सुखी नहीं हो सकता। वह सदैव निराश ही रहेगा व दुखी रहेगा । सच्चा सुख तो परमात्मा की ही शरण में है।
अपने धारा प्रवाह प्रवचनों से उन्होंने सभी भक्तों को मंत्र मुक्त व भाव विभोर कर दिया। सारा वातावरण भक्तिमय हो उठा व “श्री गुरु महाराज” “कामां के कन्हैया” व “लाठी वाले भैय्या”की जय जयकार से गूंज उठा।