बांसवाड़ा, 19 जून| तिरुपति नगर तिरुपतिश्वर महादेव मंदिर के प्रथम पाटोत्सव पर पिछले पांच दिवसीय की संगीतमय शिव आराधन कथा का विराम हुआ।जिसमें दिव्यज्योति जागृति संस्थान से सर्वश्री आशुतोष जी महाराज की शिष्या विदुषी चिन्मया भारती ने कहा कि संसार में सबसे बुद्धिमान व्यक्ति वह होता है जो भगवान को खोजता है ,पुरुषार्थ से ईश्वर की भक्ति प्राप्त होती है, सबसे अच्छा पागल वह है जो पागल होता है रघुराई का ,जो कमाया वह यही रह जाएगा लेकिन साथ में केवल पुण्य कर्म भक्ति ही साथ जाती है । भक्ती केवल बाहरी क्रियाएं नहीं होती अपितु भक्ति तो अंतर जगत में होती है, संत महिमा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जीवन में जब एक संत का आगमन होता है तब हम जीवन मरण के चक्र से मुक्त हो सकते हैं, जिसके जीवन में पूर्ण गुरु नहीं वह जीते जी एक मुर्दे के समान है क्योंकि उसमें विवेक नहीं होता, जैसे जलाशय में सागर सबसे बड़ा होता है इस प्रकार परम गुरु ही सच्चा गुरु होता है जो जीव का कल्याण करने का सामर्थ्य रखते हैं। यज्ञ -हवन से होने वाले लाभ पर चर्चा करते हुए बताया कि बाहर से किया गया यज्ञ हमें तथा प्रकृति वातावरण को शुद्ध करता है किंतु आंतरिक जगत में किया गया यज्ञ साधना की अग्नि में काम, क्रोध, मद, मोह, माया रुपी विकारों की आहुति देकर नष्ट किया जा सकता है व ईश्वर प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है । कथा के साथ-साथ विदुषी पूनम भारती तथा विदुषी मनीषा भारती ने विभिन्न भजन – ताली पाडो तो मारा राम नी, श्री राम है दयावान, ओम नमो गूरूभ्यो नमः, साधु सो सतगुरु मोहे भावे, वारी जाऊं रे म्हारासतगुरु, राम भजन कर प्राणी तेरी दो दिन की जिंदगानी रे, कैलाश के निवासी नमु बार-बार ,हमारे गुरु पुराण दाता, पंखिड़ा रे उड़ी ने जाजे पावागढ़ रे भजनों के साथ सेंथोसाइजर पर विदुषी स्वधा भारती तथा विभिन्न प्रचलित लिपिबद्ध तालों के माध्यम से तबले पर ओमप्रकाश जेठवा तथा गिटार पर पवन जी ने शु मधुर संगत दी जिसमें श्रोतागण नाचते झूमते हुए प्रभु भक्ति का आनंद लेते रहे अंत में सभी विदुषी दीदी तथा वादक कला साधकों का ऊपरणा तथा माल्यार्पण द्वारा समिति के माध्यम से स्वागत किया गया । व आरती प्रसाद वितरण के साथ कथा को विराम दिया गया।