प्रयागराज।बिना माँ के संसार की कल्पना भी नही की जा सकती यह अभिव्यक्ति एशोसिएशन बोरिंग टेक्नीशियन प्रयागराज के जिला मंत्री राजेश तिवारी ने माँ आदिशक्ति विंध्यवासिनी के दर्शनोंपरान्त उनके प्रांगण विन्ध्याचल धाम में कही।जिला मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी व्यक्ति के जीवन में माँ ही सर्वप्रथम “गुरु” होती है क्योंकि “गुरु” शब्द का मूल अर्थ है जो किसी व्यक्ति को अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चले वही उस व्यक्ति का गुरु होता है।इस प्रकार माँ बालक को जन्म देकर उसे अन्धकार से प्रकाश की ओर लाती है।इसलिए माँ ही किसी व्यक्ति के जीवन मे प्रथम गुरु कहलाती है।जिला मंत्री ने अपने आध्यात्म चक्षु के ज्ञान दीप से वर्णित किया कि माँ की महिमा अनन्त एवं अपरम्पार है क्योंकि माँ त्याग,तपस्या और बलिदान की मूर्ति होती है इसमें कोई संदेह नहीं।अपने अंश से अपने शरीर में सन्तान को उत्पन्न करती है।शिशु को सूखे में सुलाती है चाहे उसे स्वयं गीले में ही क्यों न सोना पड़े।खुद भूखी रहने पर भी किसी तरह से सन्तान का पोषण करती है।जिला मंत्री ने यह भी कहा कि यदि मैं माँ के महिमा का वर्णन करना चाहूँ तो पूर्ण रूप से इस जन्म में क्या कई जन्मों में भी माँ के महिमा का वर्णन नही कर सकूँगा क्योंकि माँ में ही यह समूचा संसार समाया हुआ है।माँ ममता,दया,करूणा एवं वात्सल्य की मूर्ति है।माँ के द्वार पर ही स्वर्ग की अनुभूति होती है।जिला मंत्री ने यह भी वर्णित किया कि मनुष्य के जीवन में माँ ही एक ऐसी है जो उसे हर समय क्षमा करते हुए नवनिर्माण की ओर अग्रसरित करती है।इस अवसर पर उपस्थित वरिष्ठ समाजसेवी पं०रामशिरोमणि तिवारी एवं वरिष्ठ समाजसेवी पं०शेषमणि शुक्ला ने कहा कि जिला मंत्री के द्वारा माँ की महिमा का अनन्त गुणगान सुनकर हमलोग आश्चर्यचकित एवं अचम्भित हैं और माँ आदिशक्ति विंध्यवासिनी के धाम में रहकर माँ के महिमा का व्याख्यान श्रवण करना हमलोगों के अहोभाग्य एवं पूर्व जन्म के कर्मों का फल है।इस माँ के महिमा के वर्णन के दौरान वरिष्ठ समाजसेवी एवं संघ खण्ड कार्यवाह मेजा विंध्यवासिनी यादव,शिक्षाविद पं०पारस नाथ पाठक एवं रवि भारतीय सहित आस-पास बहुतायत लोग मौजूद रहे।