देर रात सड़कों पर उतरे लोग, राजनीति शुरू
भरतपुर|मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गृह जिले भरतपुर में मंगलवार को मंदिर की दीवार तोड़ने के बाद विवाद हो गया। देर रात लोगों की भारी भीड़ सकड़ों पर उतर आई और नारेबाजी करते हुए टायर जलाकर प्रशासन द्वारा की गई बुलडोजर कार्रवाई का विरोध करने लगी। विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल मौके पर मौजूद रहा। करीब ढाई घंटे तक लोगों जोरशोर से नारेबाजी करते रहे। इसके बाद एडीएम ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की और दो दिन के अंदर मंदिर की जगह के कागज लेकर जिला प्रशासन के सामने पेश होने की बात रखी। इस पर प्रदर्शनकारियों में सहमति बन गई, तब जाकर यह मामला शांत हुआ, और लोग अपने-अपने घर वापस लौट गए।
बिना सूचना जिला प्रशासन ने की कार्रवाई’
प्रदर्शनकारियों के अनुसार, ‘कुम्हेर गेट क्षेत्र में स्थित बाबा जवाहरवीर मंदिर करीब 450 साल पुराना है। यहां सड़क ऊंची होने से यह मंदिर नीचे पड़ गया है। इस मंदिर को ऊपर उठाने के लिए लोगों से चंदा इकट्ठा करके निर्माण कार्य कराया जा रहा था। लेकिन प्रशासन के द्वारा बिना सूचना के इस मंदिर की दीवार को अवैध बताते हुए जेसीबी से तोड़ दिया। इस मंदिर के प्रति सभी धर्म एवं जाति के लोगों की आस्था है। प्रशासन को आसपास के लोगों से बात करनी थी। तब इस दीवार को तोड़ना था। जब हमने इसे रुकवाने के लिए भरतपुर एसडीएम रवि गोयल से मुलाकात की तो उन्होंने मंदिर के प्रति आस्था नहीं होकर मंदिर की दीवार को तोड़ने की बात कही। इसके बाद भरतपुर जिला प्रशासन ने मंदिर के बाहर की दीवार को अवैध कहते हुए ढहा दिया।
एसडीएम की माफी और दोबारा निर्माण की मांग
मंगलवार शाम तक चली इस कार्रवाई के बाद लोगों ने गुस्सा बढ़ने लगा। इसी के चलते रात 8 बजे बड़ी संख्या में लोग कुम्हेर गेट चौराहे पर जमा हो गए और जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करने लगे। इस दौरान लोगों ने मांग की कि जिस तरह से जिला प्रशासन के द्वारा मंदिर की दीवार को तोड़ा गया है, उसी तरह से अब वे उसे बनवाएं। इसके साथ ही एसडीएम के द्वारा जो मंदिर को लेकर बात कही है, उसके लिए वो माफी मांगें। प्रदर्शन को देखते एडीएम सिटी श्वेता यादव और एडिशनल एसपी अखिलेश शर्मा, सीओ सिटी सुनील शर्मा सहित करीब तीन थानों की पुलिस मौके पर पहुंची। एडीएम सिटी ने आश्वासन दिया कि जिला प्रशासन के द्वारा जो दीवार तोड़ी गई है, उसे आगे नहीं तोड़ा जाएगा, लेकिन इस जमीन के कागज दो दिन में जिला प्रशासन के सामने पेश करने होंगे। तब जाकर प्रदर्शनकारी सहमत हुए और प्रदर्शन को समाप्त किया।
जिला प्रशासन का कहना है
कि यह निर्माण बिना अनुमति के कराया जा रहा था। करीब 13 दिन पहले नोटिस भी चस्पा किया गया था। लेकिन लोगों ने एसडीएम से बात करके निर्माण कार्य की जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया।