Satirist/व्यंग्यकार

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हरिशंकर परसाई

हरिशंकर परसाई

व्यंग्य सबसे पहले खुद के लिए होता है. हमारे देश के दिग्गजों ने व्यंग्य को लेकर नए कीर्तिमान रचे. आगे जानिए ऐसे 5 व्यंग्यकारों के बारे में, जिन्होंने व्यंग्य को हल्के-फुल्के होने के भाव से उठाकर नई पहचान दिलाते हुए लोकप्रिय बनाया.
हरिशंकर परसाई: परसाई का जन्म 22 अगस्त 1924 को मध्य प्रदेश के इटारसी के पास जमाली में हुआ. परसाई के कुछ मशहूर निबंध संग्रह हैं, जिसमें ‘तब की बात और थी, ‘भूत के पांव पीछे’, ‘बेईमानी की परत’, ‘पगडंडियों का जमाना’, ‘सदाचार का ताबीज’, ‘वैष्णव की फिसलन’, ‘विकलांग श्रद्धा का दौर’, ‘माटी कहे कुम्हार से’, ‘शिकायत मुझे भी है’ और अन्त में, ‘हम इक उम्र से वाकिफ हैं’ शामिल हैं।
परसाई ने ‘ठिठुरता लोकतंत्र’ में लिखा,’ स्वतंत्रता-दिवस भी तो भरी बरसात में होता है. अंग्रेज बहुत चालाक हैं. भरी बरसात में स्वतंत्र करके चले गए. उस उस कपटी प्रेमी की तरह भागे, जो प्रेमिका का छाता भी ले जाए. वह बेचारी भीगती बस-स्टैंड जाती है, तो उसे प्रेमी की नहीं, छाता-चोर की याद सताती है. स्वतंत्रता-दिवस भीगता है और गणतंत्र-दिवस ठिठुरता है.’।

श्रीलाल शुक्ल

श्रीलाल शुक्ल

श्रीलाल शुक्ल का जन्म 31 दिसम्बर 1925 को लखनऊ जनपद में हुआ. शुक्ल को समकालीन कथा-साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिये विख्यात साहित्यकार माना जाता था. उन्होंने 1947 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की. उनका विधिवत लेखन 1954 से शुरू होता है. उनका पहला प्रकाशित उपन्यास ‘सूनी घाटी का सूरज’ (1957) और पहला प्रकाशित व्यंग ‘अंगद का पांव’ (1958) है. स्वतंत्रता के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन की मूल्यहीनता को परत दर परत उघाड़ने वाले उपन्यास ‘राग दरबारी’ (1968) के लिये उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. श्रीलाल शुक्ल का निधन 28 अक्टूबर 2011 को हुआ।
काका हाथरसी

काका हाथरसी

काका हाथरसी का जन्म 18 सितंबर 1906 में हाथरस में हुआ. उनका असली नाम प्रभुनाथ गर्ग था. वो हिंदी हास्य के जाने माने कवि थे. उनकी शैली की छाप उनकी पीढ़ी के अन्य कवियों पर तो पड़ी ही, आज भी अनेक लेखक और व्यंग्य कवि काका की रचनाओं की शैली अपनाकर लाखों श्रोताओं और पाठकों का मनोरंजन कर रहे हैं. काका हाथरसी की मौत 89 साल की उम्र में 18 सितंबर 1995 को हुई।
शरद जोशी

शरद जोशी

शरद जोशी का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में 21 मई 1931 को हुआ. शरद जोशी कुछ वक्त तक सरकारी नौकरी में रहे. फिर इन्होंने लेखन को ही आजीविका के रूप में अपना लिया. शरद जोशी अपने शानजार व्यंग्य-लेखन के लिए जाने गए. इन्होंने व्यंग्य लेख, व्यंग्य उपन्यास, व्यंग्य कॉलम के अतिरिक्त हास्य-व्यंग्यपूर्ण धारावाहिकों की पटकथाएं और संवाद भी लिखे. हिन्दी व्यंग्य को प्रतिष्ठा दिलाने प्रमुख व्यंग्यकारों में शरद जोशी भी एक हैं. शरद जोशी की मौत 60 साल की उम्र में 5 सितंबर 1991 को हुई।

खुशवन्त सिंह

खुशवन्त सिंह का जन्म 2 फरवरी 1915 को हुआ. खुशवंत सिंह ने व्यंग्य को नए तरीके से पेश किया. हालांकि उनकी आचोलन भी की गई. वो एक प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक, उपन्यासकार और इतिहासकार थे. उन्होंने पारम्परिक तरीका छोड़ नए तरीके की पत्रकारिता शुरू की. खुशवंत सिंह ‘ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर’ कॉलम भी लिखते थे. खुशवंत सिंह की 99 साल की उम्र में 20 मार्च 2014 को मौत हो गई थी।

 


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