शाहपुरा के कृषि विज्ञान केंद्र, अरनिया घोडा पर दो दिनी प्राकृतिक खेती तकनीकी विषय पर कृषि प्रसार कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गयी। इसमें शाहपुरा ब्लाॅक के कृषि विभाग के 25 कृषि पर्यवेक्षकों ने भाग लिया। इस प्रशिक्षण में केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. सी.एम. यादव ने कृषि पर्यवेक्षकों को प्राकृतिक खेती का परिचय, आवश्यकता एवं सिद्धांतों, प्राकृतिक खेती के स्तम्भ जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत, अग्निअस्त्र, ब्रह्मास्त्र, नीमास्त्र, दशपर्णी अर्क, आच्छादन, फसल चक्र आदि के बारे में विस्तार पूर्वक समझाया। डॉ यादव ने पशुपालन एवं बागवानी आधारित एकीकृत कृषि प्रणालियों के साथ उनके आर्थिक विश्लेषण का ब्यौरा भी प्रस्तुत करते हुए आव्हान किया की प्रसार कार्यकर्ता किसानों को एकीकृत कृषि प्रणालियों के बारे में समझाएं। प्रशिक्षण में टॉफी परियोजना के राज्य समन्वयक राधेश्याम झुंझारिया ने कृषि वानिकी पद्धतियों एवं फलदार पौधों के बारे में बताया। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. राजेश जलवानिया ने प्राकृतिक खेती की अवधारणा, दर्शन, भविष्य एवं राष्ट्रीय परिदृश्य के साथ ही उन्होंने ऋषि कृषि, होमा कृषि, पंचगव्य कृषि, बायोडायनमिक कृषि, पर्माकल्चर, जीव गहन कृषि एवं वेगानिक्स कृषि के बारे में भी बताया।
केंद्र के फार्म मैनेजर गोपाल लाल टेपन ने प्रतिभागियों को घन जीवामृत, बीजामृत एवं जीवामृत को बनाने का प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया। केंद्र की तकनीकी सहायक हेमलता मीणा ने प्रतिभागियों से प्रायोगिक रूप से जीवामृत एवं बीजामृत का प्रयोग करना समझाया। इस प्रशिक्षण कार्यशाला में शाहपुरा के डॉ. दीपक कुमार कोली, सहायक कृषि अधिकारी एवं नोडल सहित 25 कृषि पर्यवेक्षकों ने भाग लिया। इस अवसर पर सभी कार्मिकों ने कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में एक पेड़ माँ के नाम भी रोपा।