कामां 15 जुलाई| तीर्थराज विमल कुण्ड स्थित श्री हरि कृपा आश्रम के संस्थापक एंव श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर स्वामी श्री हरि चैतन्य पुरी जी महाराज ने यहाँ श्री हरि कृपा आश्रम में उपस्थित विशाल भक्त समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि संसार के सभी जीव मोह रूपी रात्रि में सोए हुए हैं वह नींद में सोए उन जीवों को जगाने ही आते हैं सभी संत, महापुरुष यहां तक कि परमात्मा भी । इस संसार रूपी रात्रि में मात्र परमार्थी व प्रपंच से वियोगी लोग ही जागते हैं। जीव को जगा हुआ तभी जानना चाहिए जबकि उसे सभी विषयों व विलासिताओं से वैराग्य हो जाए। उठो, जागो व अपने लक्ष्य की ओर बिना रुके तब तक चलते रहो जब तक कि तुम्हें तुम्हारा लक्ष्य प्राप्त न हो जाए । शास्त्रों का भी यही उद्घोष है मार्ग में आने वाली परीक्षाओं, बधाओं व कठिनाइयों से बिना घबराए प्रभु स्मरण करते हुए चलते रहो।
उन्होंने अपने दिव्य प्रवचनों में कहा कि आज मनुष्य का मस्तिष्क विशाल तथा हृदय सिकुड़ता चला जा रहा है। अकड़ या अभिमान नहीं होना चाहिए यूं भी अकड़ तो मुर्दे की पहचान है। जीवंतता होनी चाहिए। मस्तिष्क ठंडा, खून गर्म व चेतना जागृत हो तो समझो व्यक्ति सही मायने में जीवित है। जीवन में आगे बढ़ने के लिए इन बातों पर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संत वह है जो सब जगह सर्वदा सत् को, भगवान को देखता है । महात्मा वह है जो समस्त चराचर में वासुदेव के दर्शन करता है । जो स्वयं में भगवत् भाव प्रदान करता है। और सबमें देखता है। जो अपने भगवत् भाव युक्त आचरण, व्यवहार से दूसरों के अंदर भगवतभाव ला देता है उसके अंदर सोए हुए भगवान को जगा देता है वह भगवान की, जगत की और अपनी बड़ी सेवा करता है इसके विपरीत जो आसुरी भाव को उत्पन्न कर देता है, उसके अंदर सोए हुए शैतान को प्रबुद्ध कर देता है वह असन्त है।
अपने धारा प्रवाह प्रवचनों से उन्होंने सभी को मंत्र मुग्ध व भाव विभोर कर दिया । सारा वातावरण “श्री गुरू महाराज”, “कामां के कन्हैया” व “लाठी वाले भैय्या” की जय जयकार से गूंज उठा ।