फूलिया कलां, पेसवानी। राजकीय कृषि महाविद्यालय, फूलिया कलां (शाहपुरा) में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के तत्वावधान में गुरुवंदन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य गुरु-शिष्य संबंधों की महिमा को उजागर करना और वर्तमान पीढ़ी को इस संबंध की महत्ता से अवगत कराना था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. मूलचन्द खटीक ने अपने उद्घाटन भाषण में प्राचीन काल के गुरु-शिष्य संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने गुरु विश्वामित्र और श्रीराम तथा गुरु संदीपनी और श्रीकृष्ण के पवित्र संबंधों की चर्चा करते हुए बताया कि कैसे इन संबंधों ने उन महान व्यक्तियों के जीवन को आकार दिया। प्रो. खटीक ने कहा कि सनातन काल से ही गुरु-शिष्य संबंध प्रगाढ़ रहे हैं। यद्यपि वर्तमान समय में इसका स्वरूप बदल गया है, परंतु गुरु और शिष्य के बीच समर्पण और विश्वास का विस्तार हुआ है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो. दिग्विजय सिंह ने एक राजा और गुरु के प्रसंग के माध्यम से गुरु की महत्ता को बताया। उन्होंने कहा कि एक सच्चा गुरु अपने शिष्य को न केवल शिक्षा प्रदान करता है, बल्कि उसे जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन भी करता है। गुरु की शिक्षा और मार्गदर्शन शिष्य को जीवन की कठिनाइयों से उबारने और उसे सही मार्ग पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. रंजीत जगरिया द्वारा किया गया। उन्होंने अपने संचालन में विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से गुरु-शिष्य संबंधों की महिमा को रेखांकित किया और कार्यक्रम को सुचारू रूप से संचालित किया। इस कार्यक्रम में प्रो. धर्मनारायण वैष्णव, परमेश्वर सिंह, राधेश्याम ओझा आदि संकाय सदस्य भी उपस्थित रहे। उन्होंने भी अपने विचार साझा किए और गुरु-शिष्य संबंधों की महत्ता पर जोर दिया।