कुमावत को श्रीमद्भगवद्गीता पर शोध के लिए पीएच.डी. की उपाधि


शाहपुरा|शाहपुरा निवासी सत्यनारायण कुमावत को महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर से संस्कृत में पीएच.डी. की उपाधि मिली। कुमावत ने अपना शोधकार्य डॉ. हरमल रेबारी सेवानिवृत्त प्रोफेसर के शोधनिर्देशन में श्रीमद्भगवद्गीता में व्यक्तित्वविकास की प्रक्रिया का विश्लेषणात्मक अध्ययन विषय पर किया।

कुमावत ने अपने शोध में श्रीमद्भगवद्गीता के दर्शन, भाष्यों, व्यक्तित्व विकास की प्रक्रिया, सामान्यीकरण, विधिविश्लेषण, आधुनिक सन्दर्भों में मनोविज्ञान एवं मनोचिकित्सा की दृष्टि से संगतीकरण एवं शैक्षिक,धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, स्वास्थ्य , पर्यावरण आदि दृष्टि से श्रीमद्भगवद्गीता की सार्वभौमिक व सार्वकालिक उपादेयता का वैज्ञानिक ढंग से उपस्थापन किया है। यह शोधकार्य मानव के सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास की दृष्टि से अत्यन्त ही प्रासंगिक है ।इसमें श्रीमद्भगवद्गीता के अष्टादश अध्यायों के आधार पर व्यक्तित्व के 18 स्वरूपों का विवेचन किया गया है ।

राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बोरड़ा बावरियान में प्राचार्य पद पर कार्यरत कुमावत प्रज्ञाप्रवाह संगठन के राजस्थान क्षेत्र के सह संयोजक हैं ।


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