अहम और बड़ा सवाल पत्रकारों का सबसे बड़ा दुश्मन कौन?

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निरंकुश होते हुक्मरानों व तथ्य तलाशते पत्रकारों के बीच चलती रही हमेशा जंग

जिस चीज को कोई दबाना चाहे खबर वही है बाकी सब विज्ञापन

प्रयागराज।मशहूर ब्रिटिश पब्लिशर अल्फ्रेड हार्म्सवर्थ ने कहा था जिस चीज को कोई दबाना चाहे खबर वही है इसके अलावा बाकी सब विज्ञापन है। यह एक पंक्ति पत्रकारिता का मर्म समझने के लिए काफी है। दुनिया भर में सत्ता का एक ही चरित्र है सच को दबाना ताकि उनका बनाया भरम कायम रहे। जबकि पत्रकारिता इसका पर्दाफाश करने का काम करती है। निरंकुश होते हुक्मरानों और तथ्य तलाशते पत्रकारों के बीच जंग हमेशा चलती रही है। आज के दौर में यह टकराव बढ़ा है लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी का भरम पालने वाली इस दुनिया में सच कहना लगातार खतरनाक होता जा रहा है। प्रेस फ्रीडम की वकालत करने वाली संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आर एस एफ) की वर्षों पूर्व आई रिपोर्ट इसकी पुष्टि करती है। आर एस एफ ने अपना काम निभाते हुए मारे गए, हिरासत में लिए गए ,बंधक बनाए गए और गुमशुदा हुए पत्रकारों की लिस्ट जारी की थी जिसमें कई हैरान करने वाले आंकड़े हैं जिससे यह साफ पता चलता है कि पत्रकारिता के पेशे में जोखिम का दायरा कितना विकराल हो चुका है। पत्रकार का सबसे बड़ा सम्मान होता है कलम की स्वतंत्रता और सबसे बड़ा पुरस्कार होता है अभिव्यक्ति की आजादी,एक मुखर पत्रकारिता मजबूत लोकतंत्र की गारंटी है।जिनको खबरों से कुछ लेना-देना नहीं होता है देश के प्रति समाज के प्रति इनका कोई रुझान नहीं होता लेकिन इनका भौकाल देख कर शासन प्रशासन भी गुमराह हो जायेगा।बड़ी बड़ी बातें नेता विधायक, सांसद, मंत्री व प्रशासनिक अधिकारी तथा पुलिस अधकारियो के साथ सेल्फ़ी, महंगे सूट-बूट पहने अक्सर ये किसी न किसी कार्यालय में दलाली करते चाय पीते मिल जायेंगे।और जान पर खेल कर एक ख़बर लिखने वाले पत्रकार पर अपना प्रभाव दिखा कर रौब झाड़ेंगे ख़ास कर उस पत्रकार से जो निष्पक्ष पत्रकारिता करके इमानदारी से देश और समाज की सेवा करता है कहीं वो डिजिटल मीडिया का स्वतंत्र पत्रकार हो तो उसे और दबाने की कोशिश करेंगे और अपने आकाओं को बतायेंगे की ये यूट्यूबर है ऐसे दलाल, तथाकथित पत्रकारों की पकड़ थाने चौकी पर बहुत बढ़िया से होती है जिससे चौकी प्रभारी, थाना प्रभारी निरीक्षक, क्षेत्राधिकारी और पुलिस अधीक्षक ऐसे दलाल तथाकथित पत्रकारों के कहने से बड़ी आसानी से उस निष्पक्ष ईमानदार, निर्भीक पत्रकार पर फर्जी मुकदमा दर्ज करके अपमानित कर जेल और न्यायालय का रास्ता दिखा देते हैं इन्हीं तथाकथित दलाल पत्रकारों के कारण प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और डिजिटल मीडिया का आपसी तालमेल भी नहीं बैठ पाताऔर ख़बर का असर भी देखने को नहीं मिलता।पत्रकार वही होता है जो खबरों से आपको रुबरु कराता हो।जिसकी लिखी हुई ख़बर वीडियो सूट की गई खबर या लेख आपको मिलता हो वो अखबार में छपी हो या टीवी चैनल पर चली हो या फिर डिजिटल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हो।पत्रकार वो नहीं होता जो बाइक में, कार में प्रेस लिखवा ले,गले में आई कार्ड डाल ले और चौकी, थानों पर नगरनिगम, एलडीए में, रेलवे ट्राफिक, आर टी ओ जैसे विभागों में दिखे और दलाली करे और उसका ख़बर कभी पढ़ने को देखने को न मिले ऐसे लोग सही पत्रकार को नीचा दिखाने के लिए डिग्री की बात करेंगे पहनावा कठ काठी की बात करेंगे और अपने आपको सबसे बड़े बैनर का पत्रकार बता कर शासन प्रशासन को गुमराह करके एक अच्छे पत्रकार को बदनाम करेंगे तथा समाचार पत्रो के स्वामी और सम्पादक व्दारा नियुक्त किया गया व्यक्ति (पत्रकार)को आज के भ्रष्ट,अपराधिक प्रवृत्ति के पुलिस अधिकारी -दरोगा, निरीक्षक व क्षेत्राधिकारी खरीद नहीं पाते तो उसे तथाकथित पत्रकार लिख देते हैं हमें ऐसे भ्रष्ट लोगों से सावधान रहें सुरक्षित रहें जो वाकई में देश के लिए, समाज के लिए सच्ची पत्रकारिता करता है उस पत्रकार का सम्मान करें तभी मीडिया जगत और पत्रकार मजबूत होगा और आपको निष्पक्ष सच्ची खबरें मिलती रहेंगी


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