शाहपुरा पेसवानी। शाहपुरा के वरिष्ठ साहित्यकार व गीतकार बालकृष्ण ‘बीरा’, जयदेव जोशी, डॉ सत्यनारायण कुमावत, गजलकार विष्णु दत्त ‘विकल’, संस्कृत साहित्यकार डॉ मधुसूदन शर्मा का भारतीय परम्परानुसार तिलक लगाकर, उपरणा ओढ़ाकर, श्रीफल, स्मृति चिह्न व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत श्याम सुंदर शर्मा ‘मधुप’ ने परिषद गीत से की। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रान्त महामंत्री जगजितेंद्र जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि वर्तमान में साहित्य के क्षेत्र में कई लेखक समाज विरोधी विचार धाराओं का पुरजोर समर्थन करते हैं और दुर्भाग्य की बात तो यह है कि उनकी रचनाएँ बच्चों के पाठ्यक्रम में शामिल हो जाती है। इन विचार धाराओं के विरुद्ध राष्ट्रीय विचारों से ओतप्रोत साहित्यकारों को आगे आना होगा।
संस्कृत साहित्यकार डॉ मधुसूदन शर्मा ने अपना वक्तव्य संस्कृत भाषा में ही दिया और संस्कृत गीत ‘विराणाम् भूमि रमणीयम् राजस्थान्’ सुनाकर खूब वाही-वाही बटोरी।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद शाहपुरा के अध्यक्ष जयदेव जोशी ने वर्षा ऋतु पर दोहे ‘बाग-बगीचे खिल गए खुशबू वाले फूल, दादुर बोले सांझ को कोयल बोले भोर, वर्षा बादल से कहे बरसो इतना रोज, सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
डॉ सत्यनारायण कुमावत ने हाल ही में भगवद्गीता पर शोध किया। उन्होंने बताया कि ‘कवि’ शब्द का सर्वप्रथम उल्लेख ईशोपनिषद में मिलता है और यह कवि शब्द उस ईश्वर के लिए प्रयुक्त हुआ है। यूनेस्को ने भी इस बात को स्वीकार किया कि विश्व का सबसे प्राचीन ग्रन्थ ऋग्वेद ही है। सबसे प्राचीन कविता भी ऋग्वेद में ही लिखी गई। सबसे पहला गीत ‘सामगान’ सामवेद में पूरी लयबद्धता के साथ गाया गया ।
हिंदी व राजस्थानी के वरिष्ठ गीतकार बाल कृष्ण ‘बीरा’ ने ‘कोई बीज मोठ-बाजरो कोई बीज ज्वार मैं बीजूं मिनखां रे मनड़े जिनगाणी रो प्यार’ राजस्थानी गीत सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया।
अंत में अखिल भारतीय साहित्य परिषद विभाग संयोजक भीलवाड़ा डॉ कैलाश पारीक ने कहा कि अखिल भारतीय साहित्य परिषद का यही उद्देश्य है कि राष्ट्रीय विचारों से, देशभक्ति के विचारों से ओतप्रोत रचनाओं का सृजन हो ।
कार्यक्रम का संचालन जिला महामंत्री परमेश्वर प्रसाद कुमावत ने किया और गुरु वंदना में अपने स्वरचित दोहे सुनाए।
सभी अतिथियों व श्रोताओं का आभार अंजनी कुमार ‘समर्थ’ ने प्रकट किया।
कार्यक्रम में जिला संघ चालक बजरंग लाल शर्मा, जिला सहसंयोजक सत्यनारायण सेन, ‘संचिना’ संस्थान के अध्यक्ष रामप्रसाद पारीक, परिषद के प्रचार प्रमुख ओम माली ‘अंगारा’ अधिवक्ता विनोद सनाढ्य, एडीपी अधिवक्ता हितेश शर्मा, जयदीप बडगूजर, डॉ ओम प्रकाश कुमावत, मनोज कुमावत, आनंद सिंह राठौड़, रामप्रसाद सेन, राजेंद्र खटीक, रीता धोबी, सरोज राठौड़ उपस्थित रहे।