प्रयागराज। ट्रेनों की पेंट्रीकार व रेलवे स्टेशन पर रेल नीर ब्रांड का पानी बेचने का नियम है । इसके बावजूद शंकरगढ स्टेशन सहित स्टेशन से गुजरने वाली ट्रेनों में भी दूसरे ब्रांड के पानी की बिक्री खुलेआम हो रही है।अनाधिकृत ब्रांड के पानी की बिक्री से रेलवे के राजस्व को नुकसान के साथ ही यात्रियों के स्वास्थ्य पर भी खतरा मंडरा रहा है।हाला कि रेल नीर के अलावा भी कुछ अन्य ब्रांडों को बिक्री की स्वीकृति दी गयी हैं लेकिन इनके अलावा ओरिजिनल ब्रांडों के नाम से ही मिलते जुलते बोतलों को ओरिजिनल बताकर धड़ल्ले से बिक्री की जा रही है। स्टेशन पर रेल प्रशासन से स्वीकृत खान – पान की सामग्री बिके, इसकी जिम्मेदारी जिन जिम्मेदारों पर हैं, वो भी इस अवैध कारोबार को अनदेखा कर रहे हैं।कभी – कभार जिम्मेदार जागकर पेंट्रीकारों में पानी बोतलों की जांच करते भी हैं ,लेकिन महज जुर्माना की कार्रवाई तक ही मामला सिमट कर रह जाता है।और फिर इसी धंधे की धांधली शुरू हो जाती है। कंज्यूमर वॉइस की ओर से जागो ग्राहक जागो कैंपेन के तहत कराए गए सर्वे में रेल नीर को देश भर में क्वालिटी की पानी मे नंबर वन ब्रांड बताया गया । यात्रा में अधिकतर यात्री पीने के लिए बोतलबंद पानी का ही सहारा लेते हैं। ऐसे में शुद्धता के मानकों को ध्यान रखते हुए उचित मूल्य की बिक्री के साथ रेल नीर का प्रचलन बढ़ाया गया। रेल नीर ही बोतल बंद पानी का एक ऐसा ब्रांड है जिसे 15 रुपये से ज्यादा का बेचने पर कार्रवाई का प्रावधान है।अभी तक यात्रियों को 15 रुपए में एक लीटर बोतल बंद पानी रेल नीर आसानी से मिल जाता है । इसमें वेंडरों को 1.50 रुपए कमीशन मिलता था, लेकिन अब वेंडर रेल नीर को दरकिनार कर निजी कंपनियों का पानी बेचने में ज्यादा रुचि दिखाते है । चूंकि निजी कंपनियों के प्रोडक्ट बेचने पर वेंडरों को अधिक कमीशन मिलता है।ऊपर से मनमाने रेट की उगाही।ऐसे में जरूरतमंद यात्रियों को एक लीटर बोतलबंद पानी के लिए 15 रुपए के बजाय 20 रुपए तक भी चुकाना पड़ता है। जानकारों की माने तो अधिकारियों को यात्रियों ने इस मामले की कई बार शिकायत भी की है,मगर अधिकारियों ने शिकायतों को केवल अनदेखा कर इक्के – दुक्के स्टेशनों पर छापेमारी हुई भी तो उसका कोई खासा असर नही पड़ा।रेल नीर अपनी शुद्धता के लिए सर्वोपरि माना जाता है । इसका टीडीएस यानी शुद्धता का पैमाना संख्या 100 से 120 के बीच होता है।विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इस टीडीएस का पानी पीने के लिए सबसे उपर्युक्त है, वही अनधिकृत रूप से बेचे जा रहे बोतलबंद पानी की शुद्धता का कोई ठिकाना नही होता।इनके पानी की टीडीएस गुणवत्ता सूचकांक पर 200 से 450 तक के बीच होती हैं। वहीं इसके अनधिकृत बिक्री से रेलवे के राजस्व पर भी खासा असर पड़ रहा है।