अंर्तराष्ट्रीय युवा दिवस विशेष

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नेतृत्व से नवाचार व नीति से नियंत्रण हेतु युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है

कुशलगढ|”सतत विकास के लिए सशक्त युवा-” किसी भी राष्ट्र का निर्माण,विकास और प्रगति किसी देश के युवाओं के योगदान पर निर्भर करता है। सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों के लिए युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। ऐसे में युवाओं का विकास और उनके जीवन से जुड़ी समस्याओं को समझना जरूरी है। युवाओं की समस्याओं के बारे में जानकर उनका समाधान निकाला जाना चाहिए,ताकि वह समाज के लिए आवाज उठा सकें एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युवा नेतृत्व को स्थापित करें। अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस 2024 का थीम है “क्लिक से प्रगति तक अर्थात सतत विकास के लिए युवा डिजिटल रास्ते”। यह थीम सतत विकास को आगे बढ़ाने में डिजिटल प्रौद्योगिकियों और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म की शक्तिशाली भूमिका पर केंद्रित है। यह युवाओं को पर्यावरण चुनौतियों का समाधान करने नवाचार को बढ़ावा देने और संधारणीय प्रथाओं में योगदान देने के लिए डिजिटल उपकरणों का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस थीम का उद्देश्य युवाओं को सकारात्मक बदलाव लाने और वैश्विक जलवायु कार्रवाई पहलों में भाग लेने के लिए अपने डिजिटल कौशल का उपयोग करने के लिए प्रेरित करना है।

अभी हाल ही में पेरिस ओलंपिक 2024 में जापान जैसे देश जिसको तेजी से बूढ़ा होने वाला देश कहा जाता है जिसकी औसत उम्र 48 है उसने ओलंपिक में 18 गोल्ड मेडल जीत लिए और भारत देश जो दुनिया का सबसे युवा देश माना जाता है कि जिसकी औसत उम्र 29 वर्ष है जिसकी 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है वही हम एक गोल्ड मेडल के लिए तरस रहे है ये हमारी युवा नीतियों पर प्रश्नचिन्ह है,जापान देश जिसमें युवाओं की जनसंख्या भी बहुत ही कम है लेकिन राजनीति में उनकी भागीदारी दुगुनी है वही भारत में वर्तमान 18वी लोकसभा संसद में युवाओं की भागीदारी मात्र 11 प्रतिशत है 545 में से 30 से कम उम्र के मात्र 7 सांसद ही है जो हमारे नेतृव की नीतियों को दर्शाते हैं। जैसे-जैसे भारत देश युवा हो रहा है, हमारे चुने हुए प्रतिनिधि बुजुर्ग होते जा रहे हैं, जबकि असल में हमें युवा नेता चाहिए। देश की नीति-निर्माण व वर्तमान राजीनीति में युवाओं की भागीदारी अति आवश्यक है। आज दुनिया में लगभग 200 से अधिक देश है,आप सोचियर आज हमारा युवा आईफोन मैक्स प्रो खरीदने में एक लाख साथ हजार खर्च कर देता है उतने में तो हम यूरोप के छोटे-मोटे 5-6 अन्य देश भ्रमण कर सकते है,युवाओं के लिए यात्रा जीवन की महत्वपूर्ण शिक्षा है,साधु,महात्मा,बुद्ध,महावीर,नानक व विवेकानंद कभी एक जगह नही बैठे थे,इसी से हम प्रकृति का पोषण कर पाएंगे,ये जो सरसो के खेत से लेकर माउंट एवरेस्ट से तक इतने रिसोर्सेज प्रकति ने हमे दिए है उन्हें हम कब देखेंगे,आज हमारे देश की मानसिकता है कि 25 की उम्र होते ही शादी,नौकरी व बच्चो की बात करते है,लेकिन औसत 70 वर्ष की उम्र के हिसाब से तो युवाओँ को 25 की उम्र में 8-10 देश भी घूम लेने चाहिए थे,बैडमिंटन टेनिस या हॉकी का स्टिक भी हाथ में ले लेना चाहिए था,सैकड़ो शोध लिख देने चाहिए थे पर वो क्यो नही…आखिर हम स्वयं को खोजकर कब एक्सप्लोर होंगे।
हमे अपनी मानसिकता को बदलना पड़ेगा, डिजिटल क्रांति को ध्यान रख सतत विकास हेतु वर्तमान में युवाओँ को नेतृत्व से नवाचार तक,नीति से नियंत्रण,इनोवेशन से इंफ्रस्ट्रक्चर एवं चेंजमेकर से किंगमेकर बनने की आवश्यकता है। आज युवा रील्स, नेटफ्लिक्स व ओटीटी के दौर में सांस्कृतिक विरासत को छोड़ रहा है,इस हेतु युवाओँ को नीतिगत जागरूकता, सामाजिक मुद्दे व समसामायिक ज्ञान के साथ सर्वांगीण विकास को सार्थक करना होगा तभी हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व शांति एवं विकास का संदेश दे पाएंगे। याद कीजिये वह समय जब अपने प्रथम शपथ ग्रहण समारोह में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि अमेरिका वासियों! जाग जाओ भारतीय युवा लाइन में खड़े है। हम भलीभांति परिचित हैं कि युवक देश के कर्णधार होते हैं,किसी भी देश व समाज का भविष्य युवाओं पर ही निर्भर करता है। क्योंकि युवा-शक्ति ही राष्ट्र-शक्ति है, युवा का अर्थ ही ऊर्जा से भरपूर होता है बस आवश्यकता है उसे तराशने की। युवाओं के आदर्श स्वामी विवेकानंद के देश में ज्ञान-विज्ञान, तकनीकी-अनुसंधान व नवाचार के प्रति दृढ़चेतना भारतीय अर्थव्यवस्था का मजबूत स्तम्भ बनकर उभरी है।आज युवा शक्ति स्वयं सजे, वसुंधरा सँवार दें के कृतसंकल्प को साकार कर रही है। इक्कीसवीं सदी को हिंदुस्तान की सदी बनाने व न्यू इंडिया पर मंथन के लिए युवाओं में उत्साह,ऊर्जा व उनकी असीम कार्यक्षमता का संचार सराहनीय है, जिससे महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, सरदार वल्लभभाई पटेल व सुभाषचन्द्र बोस के सपनों का भारत साकार हो रहा है। “नवभारत का युवा वॉकल फ़ॉर लॉकल एवं स्टार्टअप्स के नवाचार का मान है और यह भारत को आत्मनिर्भर बनाने का अभिमान है”
देश का युवा हर क्षेत्र में यूनिकॉर्न स्थापित करने व नई प्रौद्योगिकी को निर्मित करने हेतु उत्साहित है,युवा आपदा को अवसर में बदलने व स्वदेशी-हस्तशिल्प उद्योगों को बढाने का सामर्थ्य भी रखता है। आज हमारा भारत भी चाँद पर पहुँच गया है परंतु प्रश्नचिन्ह यह है कि हम इन तकनीक का उपयोग ग्रामीण भारत की समस्याओं को हल करने में कैसे करते हैं।युवाओं में नई ऊर्जा का संचार तब होता हैं जब हमारे ही देश में एक केरल का युवा विदेशी पढ़ाई व कौशल को सीखकर,एक करोड़ की नौकरी को ठुकराकर अपने गाँव के मछुआरों के लिए नए संसाधन विकसित करता है,जब कोरोना के समय हजारों युवा स्वयंसेवकों ने मानवता के लिए निस्वार्थ उत्कृष्ट सेवाएँ दीं,जब मध्य प्रदेश का युवा किसान जैविक खेती कर लाखों कमा लेता है,जब देश का युवा हमारी संसद में राष्ट्रीय युवा संसद आयोजन में भाग लेकर अपने विचारों से देश व दुनिया को बदलने की ताकत रखता हो और जब युवतियां अंतरिक्ष को भेद कर वायुयान चलाने लगी हों, जब भारतीय युवाओं द्वारा लोक परम्परा व संस्कृति का डंका पूरे विश्व में बजता हो, तब मुझे यकीन होता है कि भारत महाशक्ति की ओर अग्रसर है। लेकिन अब हमें विकसित राष्ट्र हेतु कोई रोक सकता है तो वह स्वयं हम हैं, आज आधुनिकता की फूहड़ सोच में कुछ युवा नशे की आड़ में स्वयं को विकृत करने में लगे हैं। जबकि आज ज़रूरी यह है कि हम आधुनिकता के दौर में आध्यात्मिक व सांस्कृतिक चेतना को भी जीवंत रखें। “युवा अपनी संस्कृति से इतना क्यों ऊब जाता है, पश्चिम में जाकर तो सूरज भी डूब जाता है… युवा विवेकानंद जी का भी मानना था कि ‘शिक्षा का उद्देश्य केवल पुस्तकें रटना व डिग्रियां प्राप्त करना नहीं है बल्कि ऐसा युवा तैयार करना है जो स्वावलंबी, चरित्रवान व सर्वांगीण विकास से युक्त हो’। सरकार की युवा-नीति भी इस बात का विशेष ध्यान रखे कि आज युवाओं को बेहतर समाजसेवा हेतु नौकरी चाहने वालो की अपेक्षा नौकरी देने वाला बनाना होगा,हमें करोडों लोगों के देश की तरह सोचना होगा न कि लाखो लोगों के देश की तरह,हमे शिक्षा में मार्क्स के पीछे नही अपितु आविष्कार के पीछे भागने की ज़रूरत है,युवाओं को ब्लूवेल,पबजी जैसी काल्पनिक गेमिंग की दुनिया से बाहर आने की ज़रूरत है,आज युवाओं में नई सोच,नए रास्ते व नए अविष्कार करने का साहस होना चाहिए,जो समस्याओं से लड़ने व जीतने का हुनर जानता हो। अगर युवाशक्ति ठान ले तो यह संभव है। सरकार और समाज भी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। युवा पीढ़ी की आंखों के समक्ष आज एक गहरा अंधेरा है, उनको आंखें देने वाले शिक्षकों और प्रशिक्षकों को नजरअंदाज करने का यह फल है। युवाओं की मांग,स्कूटी,मोबाइल लैपटॉप और अन्य किसी भी सामान की नहीं होनी चाहिए; युवाओं की माँग सिर्फ योग्यता-निर्माण के लिए होनी चाहिए। उस योग्यता का निर्माण शिक्षक और प्रशिक्षक ही कर सकता है। योग्यता निर्माण के बाद दुनिया का कोई भी सामान स्वयं ही खरीदा जा सकता है , सिर्फ इंसान नहीं। उस इंसान को निर्माण करने वालों शिक्षकों और प्रशिक्षकों को इसीलिए हमारी संस्कृति ने देव कहा- “आचार्य देवो भव” एक बार विदेश के किसी सेशन के दौरान जब विवेकानंद जी को विदेशी लेखक ने नीचा दिखाने हेतु कहा कि हमारी लाइब्रेरी में आपकी गीता सबसे नीचे रखी हुई है,तब युवा विवेकानंद जी ने कहा नींव मजबूत होनी चाहिए,तभी इमारत टिक पाती है,बस यही आत्मविश्वास, नई ऊर्जा,नई दृढ़ता,नए विचार,नए सपने,नई उम्मीदें,नई तरंग व नए संकल्प के साथ प्रत्येक युवा को देश व मानवता के प्रति हार्दिक समर्पण का भाव रखना होगा। यही सच्ची देशभक्ति व राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका को सार्थक करेगी। आइए इस अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस पर सभी युवा संकल्प ले कि हम ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की संस्कृति को आत्मसात कर भारतवर्ष के स्वर्णिम भविष्य की नई इबारत लिखेंगे।यश व्यास पालोदा बांसवाड़ा राष्ट्रीय युवा संसद वक्ता व लेखक,व्याख्याता राजनीति विज्ञान, नेशनल अवार्डी समाजसेवी विश्लेषक।


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