बडोदिया|सम्मेद शिखर विधान कर मनाया 23वें तीर्थंकर भगवान श्री पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक । चातुर्मास समिति अध्यक्ष केसरीमल खोडणिया ने बताया कि आर्यिका विज्ञानमति माताजी की परम शिष्या आर्यिका सुयश माताजी,आर्यिका उदितमति माताजी व आर्यिका रजतमति माताजी के सानिध्य में एवं मीना दीदी व भैयाजी के निर्देशन में आयोजित सम्मेद शिखरजी विधान में सर्व प्रथम भगवान श्री पार्श्वनाथ की प्रतिमा पर प्रथम कलश का सोभाग्य मोहित जैन,हैमेन्द्र जैन पुत्र रमेश चंद्र जैन तथा द्वितीय कलश व शांतिधारा का सोभाग्य दीपक जैन पुत्र कांतिलाल जैन परिवार ने पाया। विधान का आयोजन-आशिष भैया तलाटी व लक्ष्य जैन ने बताया कि सम्मेद शिखरजी विधान में मुख्य कलश संगीता जैन,निक्की जैन, निर्धा जैन ,रोनक जैन पुत्र सतीष चंद्र जैन परिवार ने तथा नितेश जैन, अरविंद जैन,पवन तलाटी,निकुंज जैन सपरिवार ने चार आराधना कलश स्थापित कीए । विधान के सौधर्म इन्द्र बनने का सोभाग्य रोनक जैन व इन्द्राणी निक्की जैन,कुबेर इन्द्र अनिल जैन व इन्द्राणी अर्चना जैन, ईशान इन्द्र धनपाल जैन इन्द्राणी मैना जैन,सनत इन्द्र नितेश जैन इन्द्राणी रक्षा जैन व इन्द्र लक्ष्य जैन इन्द्राणी झलक जैन सपरिवार ने विधान के मुख्य अर्घ्य चढाएं । दीप प्रज्जवलन निलेश तलाटी,राजेश तलाटी पुत्र रमणलाल तलाटी परिवार ने किया । इस दौरान अन्य 23 इन्द्र इन्द्राणी परिवार ने मिलकर सामुहिक रूप से विधान में अर्घ्य चढाकर श्रद्धाभिव्यक्ति की।निर्वाण लाडु चढाया-बडोदिया के निमार्णाधीन जैन मंदिर में बने शाश्वत तीर्थराज श्री सम्मेद शिखरजी की प्रतिक्रति में स्वर्णभद्र कुट के समक्ष भक्ति पुर्वक विधान पुजन करने के उपरांत प्रथम मुख्य निर्वाण लाडु निक्कीं जैन धर्म पत्नी रोनक जैन,द्वितीय लाडु ज्योति जैन धर्म पत्नी संतोष जैन व तृतीय निर्वाण लाडु निलम दोसी धर्म पत्नी विमल दोसी परिवार तथा अन्य 23 पुण्यार्जक परिवारो सहित सभी ने सामुहिक रूप से निर्वाण लाडु चढाकर भगवान श्री पार्श्वनाथ का निर्वाण महा महोत्सव मुकुट सप्तमी पर्व मनाया तथा यह भावना भाई की कि सभी को सम्मेद शिखर के स्वर्ण भद्र कुट पर भगवान पार्श्वनाथ के चरणो के दर्शन का ज्यादा से ज्यादा धर्मलाभ मिले व विश्व में शांति व सदभावना बनी रहे व भगवान पार्श्वनाथ की तरह उपसर्ग विजेता बन हमे भी मोक्ष मार्ग की प्राप्ती हो । संयम आर जैन व निमित्त ने बताया कि आर्यिका संघ के सानिध्य में आज मुकुट सप्तमी पर पच्चास से अधिक श्रद्धालुओं ने निर्जला उपवास कर दिन भर भगवान पार्श्वनाथ की भक्ति की ।