कुशलगढ| यह वंदन,अभिनंदन, तर्पण की भूमि है।इन भावों को छात्रो को जागृत करने हेतु। आज दिनांक 14 अगस्त को स्थानीय विद्यालय मे अखण्ड भारत दिवस के अवसर पर कहा की भारत जमीन का टुकड़ा नहीं,जीता जागता राष्ट्रपुरुष है। हिमालय इसका मस्तक, गौरी शंकर शिखा कश्मीर किरीट है। पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं,
विन्ध्याचल कटि है,नर्मदा करधनी हैं।पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघायें हैं।कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है। पावस के काले काले मेघ इसके कुंतल केश है।चाँद और सूरज इसकी आरती उतारते हैं। यह अर्पण की भूमि है।इसका कंकर-कंकर शंकर है,इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है। हम जिएँगे तो इसके लिये, मरेंगे तो इसके लिये। और मरने के बाद भी गंगा में बहती हुई हमारी अस्थियों में यदि कोई कान लगा कर सुनेगा तो उसे केवल एक ही आवाज सुनाई देगी। भारत माता की जय। विद्या निकेतन माध्यमिक विद्यालय कुशलगढ में अखंड भारत दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का मुख्य वक्ता स्थानीय विद्यालय के संस्था प्रधान कॆलाश राव ने संबोधित करते हुए बताया कि सन् 1857 से 1947 तक भारत के कई टुकड़े किये गए जिसमें भुटान, म्यांमार, नेपाल, तिब्बत, पुर्वी पाकिस्तान ( वर्तमान में बांग्लादेश), पश्चिम पाकिस्तान ( वर्तमान पाकिस्तान) और अफगानिस्तान इस विभाजन में हमारे कई महापुरुषों ने अपने प्राणों की आहुति दी । उन्होंने संबोधित करते हुए बताया कि 14 अगस्त 1947 की रात में जब जिन्ना के कहने पर भारत के भु भाग से एक बड़ा हिस्सा अलग कर धर्म के आधार पर पाकिस्तान एक अलग देश बनाया गया उस रात में बंगाल के हिस्सों में भारी आगजनी हुई जिसमें सेंकडो लोग मारे गए और जो हिस्सा पाकिस्तान में गया वहाँ से कई लोगों की लाशें भारत भेजी गई कहने का तात्पर्य यह है कि हम स्वतंत्र हुए इसका हम जश्न मनाते है और मनाना भी चाहिए लेकिन स्वतंत्रता कैसे मिली और उसके लिए कितने अनाम उत्सर्ग हुए उन्हें भी नहीं भुलना चाहिए।