मरीज हजारों रुपए प्राइवेट अस्पतालों में देकर डायलिसिस करने को है मजबूर
भरतपुर के आरबीएम अस्पताल में डायलिसिस मशीन पड़ी हुई है एक माह से खराब, प्राइवेट अस्पताल में हजारों रुपए देकर डायलिसिस कराने को मजबूर हुए मरीज। प्राप्त जानकारी अनुसार भरतपुर के आरबीएम अस्पताल में हैपेटाइटिस सी पॉजिटिव मरीजों की एकमात्र डायलिसिस मशीन करीब एक माह से खराब है। अस्पताल प्रशासन एक बार शिकायत करने के बाद दो बार रिमाइंडर भी कर चुका है। लेकिन मशीन अभी नहीं सुधरी है। इसी कारण किड़नी मरीजों को दूसरे या तीसरे दिन 3500 रुपए खर्च कर निजी अस्पतालों में डायलिसिस करानी पड़ रही है। प्राप्त जानकारी अनुसार आरबीएम अस्पताल में 7 साल पहले खुली डायलिसिस यूनिट में वर्तमान में 9 मशीनें हैं, जिनमें 6 मशीन सामान्य मरीजों, एक-एक हैपेटाइटिस बी व सी और एक एचआईवी पॉजिटिव मरीजों के लिए है। लेकिन ये मशीन आए दिन खराब होती हैं। यहां हैपेटाइटिस सी पॉजिटिव 2 मरीजों की रोजाना डायलिसिस होती है, लेकिन अब मशीन 30 जुलाई से खराब है। केटीपीएल इंजीनियर उसे अभी तक सुधार नहीं सके हैं। प्राप्त जानकारी अनुसार यूनिट में साढ़े आठ लाख रुपए की एक मशीन के पार्ट्स दूसरी मशीन में लगाए और फिर 80% पुर्जे खराब बताकर हैपेटाइटिस बी मरीजों की मशीन को कंडम कर चुके हैं। वहां अब एक मशीन को शिफ्ट कर हैपेटाइटिस बी के मरीजों के लिए रिजर्व कर दिया है। एचआईवी रोगियों की मशीन को भी कंडम करने के लिए महीनों तक खराब रखा, लेकिन जब कंडम मशीन का मामला गर्माया तो उसे 4 लाख के पुर्ज मंगवाकर सही करा दिया। अस्पताल प्रशासन के अनुसार 30 जुलाई को हैपेटाइटिस सी पॉजिटिव मरीजों की डायलिसिस मशीन के खराब होने की शिकायत की। इसके बाद 13 और 22 अगस्त रिमाइंडर भी दे चुके हैं, लेकिन केटीपीएल के इंजीनियरों ने अभी तक ठीक नहीं की है। हर बार पार्टस मंगाकर ठीक करने का आश्वासन देते हैं। लेकिन सही नहीं कर रहे। जर्मनी से पार्ट मंगवा लिया गया है। जल्द ही खराब पार्ट को बदलकर मशीन को दुरुस्त कर दिया जाएगा।