बडोदिया| आर्यिका विज्ञानमति माताजी की परम शिष्या आर्यिका सुयशमति माताजी ने कहा कि मृदुता के भाव अथवा कर्म को मार्दव कहते है। यह मृदुता अहंकार के अभाव से आती है । जिस में मृदुता आविर्भूत होती है,उसका जीवन सम्पूर्ण पात्रताओं का आस्पद बन जाता है। यह विचार आर्यिका ने श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर बडोदिया में पर्व के दुसरे दिन उत्तम मार्दव धर्म दिवस पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए । आर्यिका उदितमति माताजी ने कहा कि मृदुता गुरुजनों का आशीर्वाद और साधर्मियों का प्रेम प्राप्त कराती है । आर्यिका रजतमति माताजी ने कहा कि आठ प्रकार का अहंकार छोड़ने पर जब मार्दव प्रकट होता है,तब जीवन सुखी होता है । चातुर्मास समिति अध्यक्ष केसरीमल खोडणिया ने बताया कि प्रात:श्रीजी का जलाभिषेक व शांतिधारा के उपरांत सामुहिक रूप से दस लक्षण पूजन की गई व आर्यिका संघ के मार्दव धर्म पर प्रवचन हुए । दोपहर में विधान का आयोजन किया गया तथा सांय आरती व प्रतिक्रमण किया गया । इस दौरान सोलहकारण व्रत तप उपवास व दस लक्षण तप उपवास करने वालो की सभी साधर्मीजनों ने खुब अनुमोदना की ।