बडोदिया और नौगामा में जैन समाज के ऐसे कई परिवार है जिनके घरो में पर्व पर दस दिन तक चुल्हे तक नही जले
बांसवाड़ा|बडोदिया व नौगामा में जैन समाज के ऐसे कई परिवार है जिन घरो में पर्व पर दस दिनो तक घर के चुल्हे तक नही जले । यह एक दुर्लभतम संयोग कहा जाएगा कि आर्यिका विज्ञानमति माताजी की परम शिष्या जो कि नौगामा धर्म नगरी में विराजमान है । पवित्रमति माताजी, करणमति माताजी, गरिमामति माताजी व बडोदिया में विराजमान है। आर्यिका सुयशमति माताजी, आर्यिका उदितमति माताजी व आर्यिका रजतमति माताजी दोनो संघो ने दोनो नगरो में एक माह पुर्व से ही पर्व पर तप की महिमा क्या होती है ऐसा बखान किया कि कई परिवार छोटी बडी सभी हिंसा से बचे तथा सैकडो श्रद्धालु तप उपवास कर रहे है।उत्साह तब बढ जाता है जब प्रात:आठ वर्ष के नन्हे बच्चे संघ के समक्ष एक दिन का तप व्रत लेने का संकल्प लेते है ।
आग,जल व वनस्पति से भी हिंसा का बचाव-मीना दीदी व राशि दीदी ने बताय कि आर्यिका संघ के सानिध्य में व्रत तप कर रहे ऐसे कई परिवार दोनो नगरी में है जिनके घरो में दस दिनो तक किसी भी प्रकार का चुल्हा तक नही जला । आर्यिका ने जल का कम से कम उपयोग करने,जल है तो जीवन पर उपदेश क्या दिया जल की बुंद बुंद का उपयोग मोतियो के समान इन दिनो बडोदिया के तपस्वी कर रहे है । यह सारी दुनिया के लिए सुखद संदेश है कि धर्म के साथ प्रकति का संतुलन कैसे रखा जाए । इस पर आर्यिका पवित्रमति माताजी व सुयशमति माताजी ने बताया कि परिवार में सभी ने व्रत तप किए है और दिन भर जिन मंदिर में ही रहे है तो घर में चुल्हा तक नही जला तो ये सभी अग्नि कायिक जीवो की हिंसा बचे है।आर्यिका उदितमति माताजी करणमति माताजी ने कहा कि तप के कारण कपडे एक जोडी और पानी का नही के बराबर उपयोग से ये सभी जल कायिक जीवो की हिंसा से बचे है । गरिमामति माताजी व आर्यिका रजतमति माताजी ने कहा कि व्रत तप उपवास से घर में भोजन नही बना तो वनस्पति कायिक जीवो की हिंसा से बचे । इस प्रकार से घरो में चुल्हे नही जले उनके साथ तप की महिमा और बढ गई जब इन छोटी छोटी हिंसा से बचे।बडोदिया व नौगामा दोनो धर्म नगरी में आज तक इतिहास में नही हुआ ऐसी प्रभावना इन तपस्वी यों ने क्या कर दी कि जिले भर व अन्य क्षेत्र मध्य प्रदेश व गुजरात,महाराष्ट्र राज्य के समाजजन इनके तप की अनुमोदना करने इन नगरो में आ रहे है ।