चक्रवती सम्राट की तरह बग्घीयो से की रत्न वर्षा
कुशलगढ| बडोदिया के इतिहास में पहली निकली इतनी बडी विशाल रथयात्रा में शामील हुए बडी संख्या में लोग । आर्यिका सुयशमति माताजी, आर्यिका उदितमति माताजी व आर्यिका रजतमति माताजी के सानिघ्य में निकली रथोत्सव यात्रा में सबसे आगे जिनेन्द्र भगवान का विमान, उसके साथ काष्ठ कलाक्रति का रथ तथा एक साथ निकली 15 बग्घीयों में चक्रवर्ती सम्राट बनकर रथ यात्रा की शोभा बढा रहे सोलहकारण उपवास वाले तथा दस उपवास वाले सभी तपस्वी मार्ग में रत्नो की वर्षा करते हुए शोभायात्रा में धर्म प्रभावना कर रहे थे। रथोत्सव के करने आए हजारो लोगो को प्रभावना स्वरूप लड्डू वितरण किए गए । चक्रवती सम्राट बनकर शोभायात्रा में निकले तपस्वीयों का श्रद्धालुओं ने जगह जगह तिलक लगाकर स्वागत किया । फुलमाला की बोली लेने वाले राजेंद्र कुमार पुत्र नटवरलाल जैन परिवार के यहां प्रभाव न वितरण की गई । तथा ऋषि जैन पुत्र जैन परिवार द्वारा महा आरती की गई । रथयात्रा जैन मंदिर से निकली जो विभिन्न मार्ग से जलाशय पर पहुंची जहां पर आर्यिका संघ के प्रवचन हुए।रथयात्रा के दर्शन करने बडी संख्या में आदिवासी व सर्व समाज के लोग शामील हुए।तपस्वीयों का पारणा व स्वागत।सोलह कारण व्रत तप करने वाले तपस्वी विनोद चौखलिया, मीना देवी खोडणिया, दिलीप तलाटी, मितेश जैन, मयंक जैन, प्रियंका जैन,जयंत जैन, तक्ष जैन के सोलह कारण कठोरतम तप पुर्ण होने पर उनका पारण सबसे पहले आर्यिका विज्ञानमति माताजी की परम शिष्या मीना दीदी ने कराया जिसके उपरांत उनके परिजन व नगरवासीयों ने क्रमश: कराया। गाजे बाजे के साथ जिन मंदिर से शोभायात्रा तपस्वीयों की निकाली गई तथा उनके निवास तक सभी तपस्वीयों को ले जाया गया । तपस्वी जब अपने निवास पर पहुंचे तो उनके परिजनों ने उनको केसर का तिलक लगा श्रीफल भेंट कर तथा आरती उतार कर ग्रह प्रवेश कराया । इस दौरान तपस्वीयों के परिजनो ने मिलने आए नगरवासीयों को प्रभावना वितरण की । आयोजन में पुलिस प्रशासन का सम्मान चातुर्मास समिति अध्यक्ष के केसरीमल खोडणिया,जीतमल तलाती,सुरेश चंद्र जैन, कांतिलाल खोडणिया, कमलेश दोसी ने किया।