पितरों के मोक्षार्थ आध्यात्मिक सत्संग

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बांसवाड़ा| डूंगरपुर में शिवाजी नगर के रामदेव भवन में दिव्यज्योति जागृती संस्थान द्वारा पित्तरूओं के मोक्षार्थ आध्यात्मिक सत्संग समारोह हुआ जिसमें मनीषा भारती ने बताया कि जो ईश्वर को भूलकर जीते हैं उसे संसार में कई ठोकरें खानी पड़ती है ।हम जीवन तो जी रहे हैं किंतु हमें पता ही नहीं कि यह शरीर छोड़कर एक दिन जाना है, हमारा देश परमात्मा का घर है जहां हमें एक न एक दिन जाना ही है ,जब सांस रूपी पूंजी चली जाएगी तो हम भी नहीं रहेंगे नश्वर पिंजरा ही रह जाएगा, यदि हमारे जीवन में कोई दुख है तो उसका कारण हम ही है हमने ही दुखों को पाल रखा है, जो भक्ति के मार्ग पर नहीं चलते हैं वह 84 लाख योनियों में भटकते रहते हैं, जिसमें ईश्वर के प्रति भक्ति नहीं होती प्रेम नहीं है वह जीते जी सव के समान है, सत्संग केवल सुना नहीं जाता है,सत्संग का अर्थ है ईश्वर का संग करना ही सत्संग है । सर्वश्री आशुतोष जी महाराज की शिष्या साध्वी विदुषी चिन्मया भारती ने श्रा द्ध शब्द की व्याख्या करते हुए बताया कि श्राद्ध का अर्थ श्रद्धा विश्वास से है हमें पितरों के प्रति सच्ची श्रद्धा विश्वास होनी चाहिए किंतु हम खीर, पूरी, मालपुआ में ज्यादा श्रद्धा रखते हैं पितृ केवल खाने-पीने के भूखे नहीं है हमें व्यक्ति के जीते जी उनकी सेवा करनी चाहिए बड़ों बुजुर्गों के प्रति श्रद्धा विश्वास प्रेम रखना चाहिए किंतु हम उनका तिरस्कार करते हुए वृद्धा आश्रम का रास्ता दिखा देते हैं,जो मरने के बाद वह हमें कैसे आशीर्वाद देंगे अतः जीते जी भी सेवा, श्रद्धा, समर्पण रखे तो पितृ भी प्रसन्न रहेंगे। विभिन्न भजन जिंदगी एक किराए का घर है एक न एक दिन बदलना पड़ेगा, रामकृष्ण हरे गोपाल कृष्ण हरे भजनों पर श्रोतागण भाव विभोर हो गए तबले पर संगत ओमप्रकाश जेठवा ने दी अंत में जेठवा परिवार द्वारा आरती प्रसाद के साथ सत्संग को विराम दिया गया आयोजन में अनेक गणमान्य स्त्री पुरुषों ने लाभ लिया।


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