राजस्थान में देसी गाय को राज्य माता का दर्जा दिलाने के संबंध में सभापति शिवरतन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

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गौ माता को सनातन धर्म में पंचगव्य को महा औषधि मन गया है : सभापति शिवरतन अग्रवाल

गंगापुर सिटी।पंकज शर्मा, 18 अक्टूबर। गंगापुर सिटी नगर परिषद् के सभापति शिवरतन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र के राजस्थान में देसी गाय को राज्य माता का दर्जा दिलाने के संबंध में मांग की है कि राजस्थान में हिंदू की आबादी लगभग 85% है और सभी सनातन धर्म में विश्वास करते हैं। सनातन संस्कृति में देसी गाय को गौ माता का दर्जा दिया गया है। वेद में गौ माता को (गावो विश्वस्य मातर:) कहा गया है और गौ सेवा को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र अनुष्ठानों में से एक है। सनातन धर्म में पंचगव्य को महा औषधि माना गया है, जो की औषधि गुणों की खान है। पंचगव्य कई रोगों में लाभदायक है। पांच काव्य का निर्माण गाय के दूध दही, घी, मूत्र, गोबर द्वारा किया जाता है। पंचगव्य द्वारा शरीर के रोगों को दूर किया जाता है। ऐसा कोई रोग नहीं है, जिसका इलाज पंचगव्य से ना किया जा सके। यदि गौ माता को राजमाता का दर्जा देंगे तो लोग उनका लालन पालन करेंगे। जिससे सड़कों पर बेसहारा बनकर नहीं बैठी रहेगी।

सनातन धर्म में गाय को गौ माता का पवित्र माने की वजह

  1. गाय को धन शक्ति और मात्र प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
  • गाय का दूध पीने से शक्ति का संचार होता है, यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। गाय के दूध से रेडियो एक्टिव विकिरणों से होने वाले रोगों से भी बचा जा सकता है।
  • सनातन धर्म के अनुसार गाय के घी से हवन करने से ऑक्सीजन का उत्पादन होता है। यही कारण है कि मंदिरों में गाय के घी का दीपक जलाने तथा धार्मिक समारोह में यज्ञ करने की प्रथा प्रचलित है।
  • देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है, इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।
  • गोमूत्र को सबसे उत्तम औषधि लिस्ट में भी शामिल किया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार गोमूत्र में पारद और गंधक के तात्विक गुण होते हैं। गोमूत्र के सेवन से कैंसर जैसे रोग जड़ से नष्ट हो जाते हैं।

सकारात्मक ऊर्जा का आधार है गौ माता-

वैज्ञानिकों के अनुसार गाय में जितनी सकारात्मक ऊर्जा होती है, उतनी किसी अन्य प्राणी में नहीं होती।गाय एक मात्र ऐसा प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है। जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं।

उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में देसी गाय की स्थिति, मानव आहार में देसी गाय की उपयोगिता, आयुर्वेदिक चिकित्सा पंचगव्य, उपचार पद्धति और जैविक कृषि प्रणालियां में देसी गाय के गोबर व गोमूत्र के महत्वपूर्ण स्थान को ध्यान में रखते हुए देसी गाय को राज्य माता का दर्जा दिया जाये।


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