सवाई माधोपुर 5 नवम्बर। दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र चमत्कारजी में चातुर्मास संपन्न करने के उपरांत समाधि सम्राट आचार्य विद्यासागरजी के शिष्य मुनि नीरज सागर व निर्मद सागरजी ने मंगलवार को दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र चांदखेड़ी (झालावाड़) की ओर विहार किया।
सकल दिगंबर जैन समाज के प्रवक्ता प्रवीण जैन ने बताया कि विहार से पूर्व मुनिसंघ ने चमत्कारजी मंदिर की वेदी में विराजित जिनेंद्र प्रतिमाओं सहित त्रिकाल चौबीसी के दर्शन किए। साथ ही समय आराधना चातुर्मास समिति के संयोजन में धर्मावलंबियों ने आचार्य विद्यासागरजी की अष्ट द्रव्यों से पूजन की गई और भगवान आदिनाथ से मुनिसंघ के निर्विघ्न विहार की मंगल कामना की।
इस मौके पर मुनि निर्मद सागर ने मंगलमयी वाणी से कहा कि जीवन में सफलता और जीवन की सफलता दोनो के लिए मन की स्थिरता जरूरी है। पाप रहित जीवन ही वास्तव में जीवन है। लेनदेन में स्पष्टता व आचरण श्रेष्ठ होना चाहिए। जिस घर में प्रेम, सौहार्द व समरसता होती है और जहां नित्य गुरुओं की पूजा होती है वहां लक्ष्मी का वास बना रहता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को साधु से अनुराग भक्ति के रूप में होना चाहिए, तब ही वह मंगलकारी हो सकता है।
इसी प्रकार मुनि नीरज सागरजी ने समाज को एक सूत्र में बंधे रहने का सीख दी और कहा कि पुण्य के उदय होने पर संतों के दर्शन होते हैं और वे जीव पुण्यशाली होते हैं जो संतों के नगर आगमन के बाद उनकी वाणी का लाभ ले पाते है। गुरुओं की भक्ति व सत्संग कर व्यक्ति को अपना कल्याण करना चाहिए।