मंचन के माध्यम से महापूरूषो की गाथाओं का वर्णन

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विधान के अंतिम दिन चढाए 1056 अर्घ्य

शनिवार को प्रात: होगा हवन पूर्णाहुती का आयोजन

बडोदिया| भक्त से भगवान बनने की प्रकिया में अकलंक व निकलंक दो भाईयों की आत्मकथा, आचार्य समंतभद्र स्वा‍मी की 24 भगवानों की स्तुती, विवेकी को उचित है कि जैन तत्वों पर अंजन चोर के समान पक्का विश्वास करें, सोमदत्त के समान संशय नहीं करें, भगवान श्री राम, हनुमान, राजा श्रेणिक व छह खंड का अधिपति भरत चक्रवति की कथाओं का मंचन कर यह बताया कि अपने धर्म के प्रति सच्ची श्रद्धा रखने वाला सारे संकटो से पार हो जाता है। इस सदी के प्रथमाचार्य आचार्य शांति सागरजी महाराज व परम उपकारी आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज ने अहिंसक वस्त्रों के उपयोग करने के बारे जो बतलाया उनका उपयोग कर पापो से बचने का उपाय बताया तथा यह बताया कि सभी को रात्रि भोजन का त्याग करना चाहीए।
तपस्वीयों की अनुमोदना -अष्टान्हिका महापर्व पर आठवा उपवास कर रहे अनुप जैन पुत्र रमेश चंद्र जैन,नेहा तलाटी धर्मपत्नी- हैमेन्द्र तलाटी व संयम जैन पुत्र राजेन्द्र जैन की हर किसी से साता पुछ उनके उपवास, तप की अनुमोदना करते हुए हेतु उत्साह में अभिव्रद्धि हेतु भक्ति की ।
आज शनिवार को होगी। महा शांतिधारा-आर्यिका संघ ने कहा कि पुरे विधान का सार महा शांतिधारा शनिवार प्रात: होगी। जिसमें नगर का एक भी ऐसा श्रद्धालु ना मिले जिनका नाम शांतिधारा के लिए ना लिखा हो। विश्वमंगल की कामना लिए होने जा रही शांतिधारा सारे कष्टो का निवारण व जगत में शांति के लिए होगी। जिसके उपरांत हवन पूर्णाहुती का आयोजन किया जाएगा। 1056 अर्घ्य चढाए-सिद्धो की आराधना भक्ति के क्रम में आठवें दिन आर्यिका विज्ञानमति माताजी की परम शिष्या आर्यिका सुयशमति माताजी,आर्यिका उदितमति माताजी व आर्यिका रजतमति माताजी के पावन सानिध्य एवं मौनु भैयाजी के कुशल निर्देशन व संगीतकार विकास जैन के संगीतमय भक्ति के साथ सौधर्म इन्द्र राजकुमार जैन व इन्द्राणी शर्मीला जैन व समस्तय इन्द्र इंद्राणी सहित श्रद्धालुओं ने विधान में 1056 अर्घ्य चढाए। विधान का पूर्णार्घ्य सौधर्म इन्द्र राजकुमार जैन पुत्र जयन्तिलाल जैन परिवार व जयमाला का अर्घ्य पुनम जैन धर्मपत्‍नी भावेश शाह परिवार अरथुना एवं समुच्य पूजन का अर्घ्य बोली के माध्य से तरूण जैन, लवीश जैन पुत्र सुरेशचंद्र जैन ने चढाया। इससे पूर्व शांतिधारा गौरव जैन,सौरभ जैन पुत्र अरविंद जैन परिवार ने की व सांय बग्घी में बैठाकर मंदिर तक द्रव्य पूण्यार्जक निकुंज जैन पुत्र सतीषचंद्र जैन को लाया गया जहां पर महाआरती की गई। दोपहर में नंदीश्वर द्विप महामंडल विधान का आयोजन किया गया। रात्री में मौनु भैया ने प्रवचन दिए।


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