कुशलगढ़| ओंकारेश्वर से अखंड नर्मदा माई की यात्रा के लिए एक यात्रा दल रेवा गुजर समाज धर्मशाला से रवाना हुआ। 3200 किलोमीटर की यात्रा जहां से शुरू होती है। वहीं खत्म हो जाता है। आखिर में भगवान ओंकारेश्वर महाराज को जल चढ़ाया जाता है।नर्मदा परिक्रमा एक यात्रा नहीं बल्कि आत्मा का पुनर्जन्म है। वैसे इस यात्रा को कई जगह से शुरू कर सकते है। लेकिन दो जगह जहां से इसकी शुरुआत होती है। लोग अकसर अमरकंटक या ओंकारेश्वर से शुरू करते है।अमरकंटक से भी शुरुआत करेंगे तो भगवान ओंकारेश्वर को जल चढ़ाने आना पड़ेगा।इसलिए कई लोग ओंकारेश्वर से इसे यात्रा की शुरुआत करते हैं। यह है विश्व की एक मात्र नदी परिक्रमा ‘नर्मदा परिक्रमा’। मध्य प्रदेश में अमरकंटक से निकलकर खंभात (गुजरात) की खाड़ी में सागर से मिलने से पूर्व नर्मदा 1320 किमी यात्रा पूरी करती है। नर्मदा परिक्रमा अखंड परिक्रमा होती है। इसमें नर्मदा जी को पार नहीं किया जा सकता है। यात्रा ओंकारेश्वर से प्रारंभ करते है जो खलघाट, महेश्वर ऐसे बड़े बड़े तीर्थ नर्मदा के किनारे से होते हुए है। भरूच पहुंचते है यहां नर्मदा मैया समंदर में समाहित होती हैं। इस दौरान यात्रा करने वाले गिरधारीलाल पटेल,ताराचंद पटलिया सहित कई भक्तो को पुष्प माला पहना कर यात्रा की शुभ कामना दी। इस दौरान विप्र फाउंडेशन प्रदेश उपाध्यक्ष तिलोत्तमा पंड्या,त्रिवेदी मेवाड़ा ब्राह्मण समाज कुशलगढ के अध्यक्ष प्रवीणचंद्र पंड्या,वरिष्ठ पत्रकार अरुण जोशी,विजय भट्ट,ललित जोशी,पूर्व नपा पार्षद और सेवा निवृत शिक्षिका शशिकला पंड्या,श्याम बाबा खंडवा,दशरथ बेड़िया खरगोन गाम पजरिया सहित कई भक्त मौजूद थे।