मानव से प्रेम ही ईश्वर प्रेम है – निरंकारी माता

Support us By Sharing

सवाई माधोपुर 18 नवम्बर। 77वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का भव्य आयोजन, संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल समालखा (हरियाणा) में बड़े ही हर्षाेल्लासपूर्वक किया जा रहा है जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालुगण सम्मिलित होकर सुखद आनंद की दिव्य अनुभूति प्राप्त कर रहे है।समालखा के विशाल मैदानों में शनिवार की रात्रि को मंगलकारी प्रवचनों की रसधारा प्रवाहित करते हुए सतगुरु माता ने अपने दिव्य संदेश में फरमाया कि संसार में विचरण करते हुए जब हम अपने सीमित दायरे से सोचते हैं तो केवल कुछ ही लोगों से रुबरु हो पाते हैं, किन्तु ब्रह्मज्ञान की दिव्य रोशनी से जब हम इस परमपिता परमात्मा संग जुड़ते है तब हम सही अर्थाे में सभी से प्रेम करने लगते हैं। यही प्रेमाभक्ति ईश्वर प्राप्ति का सरलतम मार्ग है।
मीडिया सहायक संत निरंकारी मण्डल स.मा. प्रज्वल प्रजापति ने बताया कि भक्ति की परिभाषा को एक नया दृष्टिकोण देते हुए सतगुरु माता ने कहा कि यदि जीवन के हर क्षण को भक्ति में बदल दिया जाए, तो अलग से पूजा का समय निकालने की आवश्यकता ही नहीं रहती। यही विचारधारा जब व्यापक रूप ले लेती है तो सबके प्रति निस्वार्थ सेवा और प्रेम की भावना को जाग्रत करती है। सतगुरु माता ने उदाहरण स्वरूप समुद्र की गहराई और शांति को सहनशीलता और विनम्रता का सुंदर प्रतीक बताया। जिस प्रकार समुद्र अपने अंदर सब कुछ समेटे हुए होता है फिर भी शांत अवस्था में रहता है ठीक उसी प्रकार मनुष्य को भी अपने भीतर सहिष्णुता और विशालता विकसित करनी चाहिए।
संत समागम का द्वितीय दिन सेवादल रैली को समर्पित है जिसका आयोजन भव्य रूप में हुआ। इस आकर्षक रैली में देश एवं दूर-देशों से आए हुए सेवादल के भाई एवं बहनों ने भाग लिया और मिशन की शिक्षाओं एवं आध्यात्मिकता पर आधारित लघु नाटिकायें प्रस्तुत की गईं। सतगुरु माता ने सेवादल रैली में उपस्थित श्रद्धालुओं को सेवा, समर्पण और विनम्रता का दिव्य संदेश देते हुए कहा कि सेवा का भाव न केवल पवित्र है अपितु यह जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन और अनुशासन का संुदर प्रतीक है।


Support us By Sharing