स्वाध्याय से ही ज्ञान की व्रद्धि होती है-आयिका सुयशमति
कुशलगढ़| बडोदिया जैन समाज के प्रतिनिधियों ने आर्यिका विज्ञानमति माताजी की शिष्या आर्यिका सुयशमति माताजी,आर्यिका उदितमति माताजी व आर्यिका रजतमति माताजी को शीतकालीन वाचना के लिए श्रीफल भेंट किया । इस दौरान श्रद्धालुओं ने आर्यिका संघ से कहा कि हम सब की यही भावना है कि आर्यिका मां विज्ञानमति माताजी ससंघ का शीतकालीन वाचना का आयोजन बडोदिया नगर में हो । इस दौरान बडोदिया निवासी दीपक तलाटी पुत्र मिठालाल तलाटी व उनकी धर्मपत्नी दीपिका तलाटी को आर्यिका विज्ञानमति माताजी की पिच्छीका प्राप्तं करने पर उनके पूण्य की सभी ने अनुमोदना करते हुए शुभकामनाएं दी । धर्मेन्द्र खोडणिया व संजीव तलाटी ने बताया कि बडोदिया में सुयशमति माताजी की पिच्छीका आशिष तलाटी व खांदु कॉलोनी में आर्यिका मां विज्ञानमति माताजी की पिच्छीका दीपक तलाटी को मिलना दोनो भाईयों की साधना और त्याग का परिणाम है।स्वाध्याय से ही ज्ञान की व्रद्धि होती है-आयिका सुयशमति माताजी ने कहा कि प्रतिदिन सांय प्रत्येक वर्ग के श्रद्धालुओं को स्वाध्याय करना है । स्वाध्याय के ही माध्यम से हमे सत्य धर्म का ज्ञान होगा । आर्यिका रजतमति माताजी ने कहा कि चातुर्मास के बाद लग भग सभी ने कुछ न कुछ नियम लिए है और सबसे ज्यादा घरो में चाय नही पिने तथा शुद्धि के भोजन के नियम लिए है उसे बरकरार रखना। उन्होंने कहा कि रसना इंद्रीय के चाटुकार न बनकर सात दिनों मे सात रसी का त्याग करना चाहीए है जिससे उत्क्र ष्ठ भावना के साथ हमारा समाधीमरण हो सके । आर्यिका ने कहा कि जो सोचा वही होगा,सबकी भावना अनुरूप ही होगा उसके लिए भक्ति बढाओं ।