जीवन की दशा व दिशा बदल देता सत्संग-श्रीजी महाराज

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सत्यनिष्ठ होकर जीने वाला हो जाता भवसागर से पार

श्री दूधाधारी गोपालजी महाराज का नूतन महल प्रवेश महोत्सव के तहत श्रीमद् भागवत कथा

भीलवाड़ा, 17 जून। आप चाहे किसी भी जाति, वर्ण, सम्प्रदाय से हो स्वयं को कभी उपेक्षित नहीं समझे और भगवान से प्रेम करते रहे तो उसकी कृपा एक दिन आप पर अवश्य होगी। संसार भगवान की क्रीड़ा स्थली है ओर हम यहां खिलाड़ी है। हमारा जीवन एक खेल है जिसने सत्यनिष्ठ होकर जीवन जीया वह भवसागर को पार हो जाता है। भगवत भक्ति से बैकुण्ठ मिलता है ओर भक्ति का प्रारंभ सत्संग से होता है। ये विचार ठाकुर श्री दूधाधारी गोपालजी महाराज का नूतन महल प्रवेश महोत्सव के तहत नूतन महल प्रवेश महोत्सव समिति के तत्वावधान में अग्रवाल उत्सव भवन में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन शनिवार को व्यास पीठ से श्री निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर श्री श्यामशरण देवाचार्यश्री ‘श्रीजी’ महाराज ने व्यक्त किए। उन्होेंने कहा कि भक्ति के भाव का जागरण शु़द्ध मन से होता है ओर श्रीमद् भागवत का श्रवण मन को शुद्ध बनाता है यानि परम लक्ष्य की प्राप्ति के लिए शुद्धि की शुरूआत यहीं से होती है। श्रीजी महाराज ने कहा कि सत्संग की महिमा अपरम्पार है। भागवत के दिव्य सत्संग का आनंद जीवन पर्यन्त चलता रहे कभी विश्राम न हो। जीवन का वह दिन व्यर्थ और निष्फल हो जाता जिस दिन सत्संग नहीं होता है। सत्संग जहां भी मिल जाए लाभ लेना चाहिए। श्रीजी महाराज ने कहा कि भागवत रूपी सत्संग जीवन को सुगम,सरल व पवित्र बनाता है। सत्य की विद्यमानता वाले सज्जनों की संगत सत्संग है। जीवन की दिशा व दशा सत्संग से ही बदलती है। हम चाहे जिसके उपासक हो अपने आराध्य के प्रति मन में हमेशा दृढ़ता रहने पर उनकी कृपा होती है। भक्ति चलायमान नहीं निश्चल होनी चाहिए। सत्संग ही वह शक्ति है जो मन को दृढ़ बनाता ओर मनोबल बढ़ाता है।भक्ति के लिए सबसे पहले मन को वश में करना चाहिए अन्यथा वह भटका देगा।
कथा के चौथे दिन ध्रुव चरित्र, प्रियवत चरित्र, महात्मा भरत का चरित्र, देवासुर संग्राम, वामनावतार कथा, हिरण्याक्ष चरित्र, प्रहलाद चरित्र आदि प्रसंगों का वाचन किया गया। कथा के शुरू में श्रीजी महाराज का स्वागत करने वालों में मुख्य जजमान श्री दिनेश मेहता एवं परिवार, स्वागतकर्ता लादूलाल बांगड़, श्रीगोपाल राठी, अनिल सोनी, सुनील सोनी, गौरव सोनी, डॉ. कैलाश काबरा, द्वारकाप्रसाद अजमेरा, दीपक सोमानी, सुबोध बाहेती, सुंदर अड़वानी, महेश सोनी, राकेश ओझा, किशन जागेटिया, नंदलाल माली आदि शामिल थे। कथा के अंत में व्यास पीठ की आरती करने वालों में जजमान दिनेश मेहता एवं परिवार के साथ श्री महेश बचत एवं साख समिति के कार्यकर्ता राजेन्द्र काल्या, दिनेश काबरा, चन्द्रप्रकाश मंत्री, शुभम झंवर, महावीर लढ़ा, सचिन काबरा, आशा डाड, अनिता सोमानी, रंजना बिड़ला, मधु मंत्री, सुमन लाहोटी, संगीता काबरा आदि शामिल थे। अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति द्वारा किया गया। श्रीमद् भागवत कथा का वाचन 20 जून तक प्रतिदिन शाम 4 से 7 बजे तक होगा।

संत भीड़ से नहीं ज्ञान,भक्ति व वैराग्य से बड़ा होता है

श्रीजी महाराज ने व्यवहारिक जीवन के साथ आध्यात्मिक जीवन में भी ‘प्रेक्टिकल’ बनने का संदेश देते हुए कहा कि जो व्यक्ति स्वयं भ्रमित है वह आपको मार्ग नहीं दिखा सकते है। किसी प्रति अंधश्रद्धा व भेड़चाल नहीं होनी चाहिए। कोई भी संत भीड़ से नहीं ज्ञान, भक्ति व वैराग्य से बड़ा होता है। जिनके मन में सबके प्रति करूणा, प्रेम व समभाव हो ऐसे महापुरूषों का सत्संग करना चाहिए। ऐसे महापुरूष स्वयं का कोई शत्रु नहीं मानते पर उनकी ख्याति व सद्गुणों को देख कई उनके शत्रु बन जाते है। कथा के दौरान जय-जय श्री राधे, श्रीमद् भागवत की जय, भक्त वत्सल भगवान की जय, श्री निम्बार्क भगवान की जय, श्री सद्गुरू भगवान की जय आदि जयकारे गूंजते रहे। उन्होंने राधे तेरे चरणों की श्यामा तेरे चरणों की कहीं धूल जो मिल जाए, ये मन बड़ा चंचल है कैसे तेरा भजन करू आदि भजनों के माध्यम से भक्ति रस की ऐसी धारा प्रवाहित की जिसमें डूबकर कई श्रोता झूमते रहे।

महारास में छाया गिरधर गोपाल के प्रति मीरा की भक्ति का रंग

ठाकुर श्री दूधाधारी गोपालजी महाराज का नूतन महल प्रवेश महोत्सव के तहत श्रीदूधाधारी गोपाल मंदिर परिसर में रासलीला महोत्सव के तीसरे दिन शुक्रवार रात भी आकर्षक प्रस्तुतियों ने भक्तों का मन मोह लिया। महोत्सव में वृन्दावन के श्रीराधा सर्वेश्वर लीला संस्थान के कलाकारों द्वारा रासलीला शुरू के आधे घंटे महारास की प्रस्तुति के बाद भक्तिमति मीरा के चरित्र का मंचन किया गया। इसमें बताया गया कि मेड़ता निवासी रतनसिंह की पुत्री मीरा बचपन से भगवान की भक्त थी ओर किस तरह मेड़ता में आए संतों की मंडली से गिरधर गोपाल की प्रतिमा प्राप्त करती है। मीरा का विवाह चित्तौड़ के राणा भोजराज के साथ होता है। भोजराज की मृत्यु के बाद मीरा के देवर विक्रमसिंह उन्हें मारने के अनेक उपाय करते है पर मीरा किस तरह अपने गिरधर गोपाल की भक्ति पर अटल रहती है इस बारे में प्रस्तुति ने देखने वालों को भक्ति रस में डूबो दिया और गिरधर गोपाल के साथ मीराबाई के जयकारे भी गूंज उठे। इससे पूर्व रासलीला के प्रारंभ में महाकवि कृष्णदास कृत पद मंडल मधु रंग भरे श्यामा श्याम राजें पर श्री कृष्ण, राधा एवं गोपियों के साथ नृत्य रास की प्रस्तुति हुई। रिमझिम बारिश में भीगते हुए भी भक्तगण महारास का आनंद लेने के लिए डटे रहे जब तक विश्राम की आरती नहीं हुई तब तक वहां से नहीं गए।

Moolchand Peshwani 


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