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पंचदिवसीय श्री राम कथा श्रवण कर भाव विभोर हुए श्रोतागण

पंचदिवसीय श्री राम कथा श्रवण कर भाव विभोर हुए श्रोतागण

अपने मान का हनन करने वाला ही हनुमान है : डॉ. मदन मोहन मिश्र (मानस कोविद)

प्रयागराज।विजय शुक्ला। गंगापार के झूंसी क्षेत्र अंतर्गत नीबी कला गांव स्थित श्री राम जानकी मानस मन्दिर मे चल रही पंचदिवसीय श्री राम कथा के दूसरे दिन वाराणसी से पधारे कथा वाचक डॉ. मदन मोहन मिश्र, मानस कोविद वाराणसी ने प्रभु की कथा को आगे बढ़ाते हुए बताया कि प्रभु श्री राम यज्ञ से प्राप्त खीर के प्रभाव से आए इसलिए वे ऋषि संस्कृति के प्रतीक हैं एवं सीता जी राजा जनक के हल चलाने से आई इसलिए वो कृषि संस्कृति की प्रतीक हैं। जीव रूपी किसान साधना रूपी खेती मे अनुष्ठान रूपी हल चलाकर कामना रूपी बीज नहीं बोता तो उसके जीवन में भक्ति रूपी सीता का आगमन हो जाता है। पहले देश ऋषि प्रधान था फिर कृषि प्रधान हुआ अब केवल कुर्सी प्रधान रह गया है। परमात्मा लोक कल्याण हेतु मनुष्य के रूप में धरती पर अवतरित होता है। परमात्मा अपने भक्तो की रक्षा महतारी बनकर करता है। सत्संग हमारे भीतर के रावणत्व को समाप्त करने की प्रक्रिया है। बाहर के रावण को जलाना आसान है लेकिन अंदर के रावण को समाप्त करना बड़ा कठिन है। जो धर्म समाज, राष्ट्र का काम करता है वही समाज में जीवित है। रावण बीस आंखो से भगवान को नहीं देख पाया वही सूरदास अंधी आंखो से भगवान को पहचान लेते हैं। प्रतापगढ़ से पधारे पंडित आशुतोष द्विवेदी जी ने हनुमत चरित की चर्चा करते हुए कहा कि परमात्मा उसी पर कृपा करता है जो अपने कर्मो को ईमानदारी से करता है। जो दुनिया का काम करे उन्हें भगवान कहते हैं भगवान का भी जो काम करे उन्हें हनुमान कहते हैं। अच्छे लोगों के आपस में मिलने से ही अच्छे समाज का निर्माण संभव है।