संसद में पेश किए जाने वाले पशुधन आयात-निर्यात विधेयक-2023 पर रोक लगाने के लिए दिया ज्ञापन

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संसद में पेश किए जाने वाले पशुधन आयात-निर्यात विधेयक-2023 पर रोक लगाने के लिए दिया ज्ञापन

किसान केसरी संघ व जीव दया सेवा समिति ने कहा है की जिस देश में अहिंसा परमोधर्म को माना जाता है उस विचार की अनदेखी करते हुए केन्द्र सरकार द्वारा अब जीवित पशुओं को भी वस्तु मानकर उन्हें निर्यात किए जाने के लिए संसद में पशुधन आयात-निर्यात विधेयक 2023 को बिल को पारित कराने की तैयारी में लगी है।
मंगलवार को उपखंड अधिकारी पुनीत गेलडा को राष्ट्रपति के नाम दिए ज्ञापन में कहा है की इस विधेयक का मसौदा भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा तैयार किया जा रहा है तथा ससंद के इसी सत्र में यह विधेयक प्रस्तुत किया जाना प्रस्तावित है। इस विधेयक को लाने का मुख्य उद्देश्य अभी तक भारत से किए जा रहे मांस निर्यात के साथ-साथ अब जीवित पशुओं का भी निर्यात किया जा सके ताकि उनका वध न किया जाकर मांस उत्पादन को बढ़ाया जा सके और दुनिया भर में मांस की मांग अनुसार अपूर्ति होकर मांसाहार को बढ़ावा मिल सके।
आज ज्ञापन देने के मौके पर पीसीसी मेंबर संदीप महावीर जीनगर किसान केसरी संघ के जिला अध्यक्ष सूर्य प्रकाश ओझा जीव दया सेवा समिति के अध्यक्ष अतु खान कायमखानी, नंद सिंह मेवडा, ओमप्रकाश खारोल, भोलू राम कुमावत, हीरालाल , रमेश कुमावत, उगमा लाल , राम बक्स दौलतपुरा, रणजीत , कन्हैया लाल, भंवर लाल, कैलाश, देवकरण जाट, हरनाथ गुर्जर मौजूद थे।
ज्ञापन में कहा गया है की किसान केसरी संघ, जिला शाहपुरा राजस्थान जो किसानों के हितों के साथ-साथ पशुधन एवं जीवों के संरक्षण के प्रति भी कृत संकल्प है तथा ऐसे क्रूर और हिंसात्मक विधेयक का पूरजोर तरीके से विरोध करती है। हमारे देश में केवल जैन समाज ही नहीं अपितु सभी समाज जीव हिंसा का प्रबल विरोधी है। जिस देश में मांसाहार को तामसिक प्रवृति का मानते हुए उससे होने वाले दुषप्रभावों को पूरी दुनिया में प्रचारित किया है जिससे बहुसंख्यक विदेशी लोगों द्वारा मांसाहार प्रवृति को त्याग किया है और शाकाहारी बनने की ओर अग्रसर है। यह देश के लिए शुभ संकेत है।
ज्ञापन में कहा है की सरकार को यह समझना होगा कि जिंदा मूक पशु कोई पंसारी की दूकान पर मिलने वाले कमोडिटी (वस्तु) नही हैं, जिसका निर्यात किया जा सके? ऐसे में इस बिल को पारित करने की सरकारी की जो मंशा है वो संविधान की मूल भावनाओं के उपबंधों के भी विरूद्ध है। सरकार को मांसाहार के दुषप्रभावों के प्रति लोगों को जागरूक करना चाहिए न की इस बिल के जरिए इसे बढ़ावा देना चाहिए। जिस देश के महापुरूषों जिनमें मुख्यतः महात्मा गांधी एवं भगवान महावीर ने मांसाहार के सेवन के प्रति जो आन्दोलन चलाया उसका हमारे मन मस्तिष्क पर आज भी गहरा प्रभाव झलकता है। अतः हमारे महापुरूषों के प्रति एवं उनके बताये मार्ग का हम आज भी अनुसरण करते हैं।
किसान केसरी संघ, जिला शाहपुरा राजस्थान ने इस ज्ञापन पत्र के जरिए राष्ट्रपति से मांग की है की इस सत्र में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा पारित “पशुधन आयात-निर्यात विधेयक 2023” विधेयक को पारित नहीं करने की कृपा करावें ताकि इस देश की गरिमा एवं महापुरूषों के बताये मार्ग अंहिसा परमोधर्म पर हम चल सकें तथा जिन्दा मूक पशुओं की हत्याओं के महापाप के इस कारोबार से इस सरकार को रोका जा सके।

Moolchand Peswani 


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