गढ़वा किला के तालाब का अस्तित्व मिटाने में जिम्मेदारों की अहम भूमिका, खत्म हो रहा है तालाबों का अस्तित्व

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गढ़वा किला के तालाब का अस्तित्व मिटाने में जिम्मेदारों की अहम भूमिका, खत्म हो रहा है तालाबों का अस्तित्व

लगातार मीडिया पर खबरें प्रकाशित होने के बाद भी तहसील प्रशासन बना मूक दर्शक

प्रयागराज। शंकरगढ़ क्षेत्र के गढ़वा में सैकड़ों बीघा की जमीन पर स्थित तालाब, धीरे धीरे समाप्त हो रहे है। इनके संरक्षण की प्रमुख जिम्मेदारी लेखपाल के ऊपर होती है। किन्तु धन कमाने की हवस ने इन्हे बंधुवा मजदूर बना दिया है। यह सिर्फ और सिर्फ पैसे के लिए काम करते है। इसके विभत्स दुष्परिणाम आज सबके सामने है। पशु पक्षी के पीने के पानी के नादे आदि समाजसेवियो को रखवानी पड़ रही है। धरती के जल स्रोत के साथ-साथ पशु पक्षियों और जीव-जंतुओं की प्यास व चारे की व्यवस्था भी इन तालाबों के आसपास आसानी से हो जाती थी। किंतु भू माफियाओं और सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से तालाबों के अस्तित्व पर ग्रहण लग जाने से ज्यादातर तालाब अपने अस्तित्व को खोते जा रहे हैं। बड़े -बड़े तालाब या तो खत्म हो गए हैं या फिर सिमट कर अपने विशालकाय स्वरूप को खो चुके हैं। अब जो तालाब बचे हैं उनको बचाने के प्रयास अवश्य जनहित में होने चाहिए। किंतु दुर्भाग्य लगातार सरकारी जमीनों व तालाबों पर अवैध कब्जे जारी है। जिम्मेदार लगातार उस जगह से दिन में तमाम बार निकलते हैं। मगर उनका ध्यान कभी सरकारी संपत्ति को सुरक्षित रखने में नहीं जाता है। वैसे इसका जिम्मेदार कौन..? चंद पैसे के लोभी क्षेत्रीय लेखपाल और उनका साथ देने वाले चंद भ्रष्ट अधिकारी। सभी अधिकारियों को भ्रष्ट नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि अगर सभी भ्रष्ट तो बारा तहसील प्रशासन हमेशा सुर्खियों में बना रहता है। अपने टालमटोल व उच्च अधिकारी सहित शासन को गुमराह करने के आरोपों में मगर कब तक क्षेत्रीय जिम्मेदार उच्चाधिकारियों को गुमराह करेंगे। कभी ना कभी तो सच्चाई बाहर आएगी। चंद पैसों के लालच में क्षेत्रीय लेखपाल उच्चाधिकारियों द्वारा दिए गए निर्देशों को गुमराह कर गलत रिपोर्ट शासन में भेज कर अपनी पीठ थपथपा लेते हैं और शासन को लगता है कि हमारे जिम्मेदार बहुत ही ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से अपने कार्य को अंजाम दे रहे हैं। मगर धरातलीय हकीकत देखी जाए तो वह भू माफियाओं से मिलकर लगातार शासन को गलत रिपोर्ट भेजते रहते हैं। यही नहीं अपने उच्चाधिकारियों को भी गलत व भ्रामक खबर देकर अपने नंबर बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। अगर ऐसे ही जहां देखो वहाँ सिर्फ भू माफियाओं का ही राज रहा तो समाज में जंगलराज हो जाएगा। ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ सरकारी कर्मचारियों की वजह से ही सही जानकारी उच्चाधिकारियों व शासन को प्राप्त हो पाती है।
बुलडोजर बाबा के आदेशों को नहीं मानते जिम्मेदार
जनता के दिलों पर राज करने वाले प्रदेश के मुखिया जिन्हें लोग उनकी कार्यशैली के आधार पर बुलडोजर बाबा के नाम से भी संबोधन करते हैं। बुलडोजर बाबा के फरमान को जनपदीय अधिकारी नजरअंदाज कर रहे हैं तो वह कहना गलत नहीं होगा। क्योंकि जनता के दिलों पर राज करने वाले बुलडोजर बाबा लगातार भू माफियाओं पर कार्यवाही करने हेतु सख्त निर्देश देते रहते है। बाबा आदेश और निर्देश देने में पीछे नहीं हट रहे हैं!मगर कार्यवाही ना होने के चलते हौसले बुलंद है।
शंकरगढ़ क्षेत्र में कई नए भूमाफिया तैयार हो गए हैं। जिसके चलते सरकारी जमीन व तालाबों पर संकट और भी ज्यादा गहरा गया है। पहले से जिन तालाबों पर कब्जे हो गए है उन्हें मुक्त करना आसान नहीं है। किंतु जो तालाब बचे हैं उनको बचाने के प्रयास अवश्य जनहित में होने चाहिए। किंतु दुर्भाग्य लगातार सरकारी जमीनों व तालाबों पर कब्जे जारी है। जिम्मेदार लगातार उस जगह से दिन में तमाम बार निकलते है। मगर उनका ध्यान कभी सरकारी संपत्ति को सुरक्षित रखने में नहीं जाता है।

R. D. Diwedi 


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