वाणीजी की शोभायात्रा के साथ हुआ चातुर्मासिक प्रवचनमाला का शुभारंभ

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वाणीजी की शोभायात्रा के साथ हुआ चातुर्मासिक प्रवचनमाला का शुभारंभ

शोभायात्रा पर पुष्पवर्षा, भक्तजनों ने किया संतों का स्वागत

भीलवाड़ा, 29 जून। अन्तरराष्ट्रीय श्री रामस्नेही सम्प्रदाय शाहपुरा के अधीन शहर के माणिक्यनगर स्थित रामद्वारा धाम में चातुर्मासिक सत्संग प्रवचनमाला का शुभारंभ गुरूवार को पूर्ण विधिविधान के साथ भक्तिपूर्ण माहौल में हुआ। अन्तरराष्ट्रीय श्री रामस्नेही सम्प्रदाय की परम्परा के अनुसार चातुर्मासिक प्रवचनमाला का शुभारंभ वाणीजी की शोभायात्रा के साथ हुआ। सत्संग-प्रवचनमाला शुभारंभ अवसर पर वाणीजी की शोभायात्रा स्थानीय भंडारी संत श्री बोलतारामजी के सानिध्य में सैकड़ो भक्तजनों की उपस्थिति में निकाली गई। शोभायात्रा के साथ चातुर्मास में प्रतिदिन प्रवचन के लिए पधारे अन्तरराष्ट्रीय श्री रामस्नेही सम्प्रदाय शाहपुरा के वरिष्ठ संत डॉ. पंडित रामस्वरूपजी शास्त्री (सोजत रोड वाले) का पुष्पवर्षा एवं माल्यापर्ण कर स्वागत किया गया। शोभायात्रा बैण्डबाजे पर रामधुनी एवं महिला मण्डल के मंगल भजनों की गूंज के साथ संत निवास से रामद्वारा के मुख्य द्वार तक पहुंची। यहां सभी संतों व भक्तजनों का पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। महाप्रभु आध्याचार्य स्वामी श्रीरामचरणजी महाराज के स्वरूप का पूजन-अर्चन कर, परिक्रमा कर संतजनों को मंचासीन कराया गया। सत्संग-प्रवचन के लिए पधारे वरिष्ठ संत डॉ. पंडित रामस्वरूपजी शास्त्री, श्री बोलतारामजी, श्री चेतरामजी आदि संतों का रामनिवास धाम ट्रस्ट के ट्रस्टी, रामद्वारा सेवा समिति,रामस्नेही चिकित्सालय प्रबंध समिति के सदस्यों एवं रामस्नेही भक्तजनों ने पूजा-अर्चना एवं आरती कर भावपूर्ण स्वागत किया। स्वरूपा महिला मण्डल की सदस्यों ने स्वागत गीत प्रस्तुत कर सत्संग-प्रवचनमाला का आगाज किया।

पिछले जन्मों का पुण्य उदय होने पर मिलता सत्संग

चातुर्मासिक सत्संग की शुरूआत करते हुए संत डॉ. पंडित रामस्वरूपजी शास्त्री ने कहा कि मनुष्य के पिछले सौ जन्मों के पुण्य उदय होने पर संतजनों के मुखारबिंद से सत्संग श्रवण का अवसर एवं उनका सानिध्य मिलता है। उन्होंने गुरू एवं संत का जीवन में महत्व समझाते हुए कहा कि इनके बिना जीवन का लक्ष्य कभी हासिल नहीं हो सकता। संतो के चरणों में अष्ट सिद्धी एवं नव निधि का वास रहता है। इसीलिए संतो के चरण गंगा के समान पवित्र माने गए है। रिद्धी-सिद्धी कारक भी होने से संतो के चरण वंदन किए जाते है। उन्होंने कहा कि हमारे सामने कभी भी संत आ जाए तो उनकी वंदना अवश्य करनी चाहिए। चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन सुबह 9 से 10.15 बजे तक गर्ग संहिता पर प्रवचन होंगे। एकादशी होने से गुरूवार दोपहर 3 से 4 बजे तक वीतराग महाराजजी की वाणीजी का पाठ एवं रामस्नेही भजनों का कार्यक्रम भी हुआ जिसमें बड़ी संख्या में भक्तजन शामिल हुए।


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