‘विकसित भारत 2047’ की कल्पना में ग्रामीण महिलाओं के लिए डिजिटल समानता को बनाना होगा केंद्रबिंदु – बिमटेक के राष्ट्रीय सेमिनार में विशेषज्ञों की राय
इस कार्यक्रम में दो आकर्षक पैनल चर्चाएँ आयोजित की गईं।
सेमिनार में एक फायरसाइड चैट और एक कार्यशाला भी शामिल थी।
ग्रेटर नोएडा, 16 मई 2025| विकसित भारत@2047 के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए, बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (BIMTECH) ने एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जिसका विषय था: “डिजिटल समावेशन के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना: NGOs की भूमिका”। यह कार्यक्रम भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) के सहयोग से आयोजित किया गया।
इस सेमिनार में विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, विकास क्षेत्र के पेशेवरों और जमीनी स्तर के सामाजिक परिवर्तनकर्ताओं ने भाग लिया। उन्होंने इस बात पर चर्चा की कि किस प्रकार डिजिटल समानता ग्रामीण भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण को गति दे सकती है।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रेरणादायक उद्घाटन भाषणों के साथ हुई, जिनमें डॉ. नीलम गुप्ता (अध्यक्ष एवं CEO, आरोह फाउंडेशन) और श्री मधुबन पांडे (सह-संस्थापक एवं CEO, स्कोर लाइवलीहुड फाउंडेशन) ने अपने विचार साझा किए। मुख्य भाषण में “ग्रामीण महिलाओं के लिए डिजिटल इक्विटी का महत्व”, “वर्तमान सरकारी पहल और नीतियाँ”, तथा “डिजिटल समावेशन के सूत्रधार के रूप में एनजीओ” जैसे विषय शामिल थे।
बिमटेक की निदेशक डॉ. प्रवीणा राजीव ने कहा: “डिजिटल समावेशन के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना सिर्फ एक सामाजिक आवश्यकता नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है। जैसे-जैसे हम विकसित भारत@2047 की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि डिजिटल यात्रा में कोई भी पीछे न छूटे। यह सेमिनार संवाद को प्रेरित करने, कार्रवाई को प्रोत्साहित करने और एक अधिक न्यायसंगत और सशक्त समाज के निर्माण की दिशा में हमारे प्रयासों का हिस्सा है।”
सेमिनार में “डिजिटल बाधाओं को तोड़ना: जमीनी अनुभव” विषय पर एक गहन ‘फायरसाइड चैट’ आयोजित हुई, जिसमें उन ग्रामीण महिलाओं की सच्ची कहानियाँ साझा की गईं जिन्होंने डिजिटल दुनिया की चुनौतियों को पार किया। हैंड इन हैंड इंडिया, रेशम सूत्र, और ग्रामीण फाउंडेशन जैसे संगठनों ने बताया कि कैसे डिजिटल साक्षरता के माध्यम से महिलाएं माइक्रो-उद्यम चला रही हैं, सरकारी योजनाओं तक पहुंच बना रही हैं और बड़े बाज़ारों से जुड़ रही हैं। यह चर्चा डिजिटल उपकरणों की पहुंच से मिली वित्तीय स्वतंत्रता को दर्शाने के साथ-साथ NGOs की डिजिटल मार्गदर्शन में अहम भूमिका को भी रेखांकित करती है।
इसके बाद दो महत्वपूर्ण पैनल चर्चाएं आयोजित की गईं: 1- “डिजिटल समानता के उत्प्रेरक के रूप में NGOs” – जिसमें NGOs और स्वयं सहायता समूहों द्वारा समुदायों की तकनीकी अपनाने की यात्रा को आसान बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए कार्यक्रमों पर चर्चा हुई। 2- “डिजिटल समावेशन का भविष्य: AI, FinTech और आगे” – जिसमें उभरती तकनीकों जैसे AI-आधारित उपकरण, मोबाइल बैंकिंग, UPI और माइक्रोफाइनेंस ऐप्स के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं की वित्तीय पहुँच में आए परिवर्तन पर प्रकाश डाला गया। इस सत्र में डेटा गोपनीयता, पहुंच, और समावेशिता जैसे नैतिक मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
सेमिनार में बिमटेक द्वारा चलाए जा रहे यूरोपीय संघ वित्तपोषित प्रोजेक्ट “KODECET” और “AIDEdu” के तहत संस्थान की समावेशी एवं सतत विकास में भूमिका पर विशेष सत्र प्रस्तुत किया गया। इसके अतिरिक्त “ISDM डेटा साइट का उपयोग” विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन हुआ।
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन, प्रमाणपत्र वितरण और खुले मंच पर विचार साझा करने के साथ हुआ। प्रतिभागियों ने डिजिटल सशक्तिकरण के साझा उद्देश्य को लेकर सार्थक चर्चाएं और नेटवर्किंग की।
यह आयोजन ICSSR शोध अनुदान ‘विजन विकसित भारत@2047 परियोजना’ के अंतर्गत, जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, लखनऊ और इंडियन स्कूल ऑफ डेवलपमेंट मैनेजमेंट (ISDM) के सहयोग से किया गया।
स्व. बसंत कुमार बिड़ला एवं सरला बिड़ला की प्रेरणा से संचालित बिमटेक ने प्रबंधन शिक्षा में नवाचार की मिसाल कायम की है। संस्थान द्वारा संचालित विभिन्न विशेषीकृत पाठ्यक्रम—जैसे PGDM, PGDM-IB, PGDM-RM, PGDM-IBM, PGDM-Online, FPM एवं EFPM—छात्रों को वैश्विक नेतृत्व के लिहाज से तैयार करते हैं। हाल ही में प्राप्त AACSB मान्यता के साथ बिमटेक विश्वस्तरीय B-स्कूलों की अग्रिम पंक्ति में सम्मिलित हो गया है। 8000 से अधिक पूर्व छात्रों के सशक्त वैश्विक नेटवर्क के साथ यह संस्थान प्रबंधन शिक्षा में उत्कृष्टता का प्रतीक बन चुका है।

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