बयाना-रूपवास में पहाड़ों को निगल रहा अवैध खनन


मुख्यमंत्री के निर्देश हवा में, पुलिस-वन विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल

भरतपुर|बयाना और रूपवास उपखंड क्षेत्रों में अवैध खनन बेलगाम होता जा रहा है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के स्पष्ट आदेशों और सख्त मंशा के बावजूद पत्थरों की काली कमाई का यह कारोबार बेधड़क जारी है। रात्रि के अंधेरे में ट्रकों के काफिले प्रशासन और पुलिस की नाक के नीचे से गुजरते हैं और खनन माफिया पहाड़ों को दिन-ब-दिन खोखला कर रहे हैं।

बंशी पहाड़पुर और बंध बरैठा: अवैध खनन का नया गढ़
बंशी पहाड़पुर और बंध बरैठा के पहाड़ों में इन दिनों जेसीबी मशीनें और हथौड़े दिन-रात गरज रहे हैं। पहाड़ों से निकाले जा रहे बड़े-बड़े पत्थर ट्रकों में लादे जाते हैं और उन्हें रुदावल, खेरिया मोड़ होते हुए ब्रह्मबाद मार्ग से बयाना के रीको औद्योगिक क्षेत्र तक पहुँचाया जाता है। यह सब कुछ रात के अंधेरे में किया जाता है ताकि किसी भी निगरानी से बचा जा सके।

सैकड़ों ट्रक गुजरते हैं थानों के सामने से, फिर भी चुप्पी
स्थानीय लोगों के अनुसार, खनन सामग्री से भरे ट्रक रुदावल थाना, खेरिया मोड़ चौकी और बयाना थाना के सामने से रोजाना गुजरते हैं। लेकिन न कोई ट्रक रोका जाता है, न किसी पर कार्रवाई होती है। यहां तक कि वन विभाग का कार्यालय भी पास में ही स्थित है, परंतु अधिकारी मूक दर्शक बने हुए हैं।

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आखिर क्यों चुप है प्रशासन?
क्या खनन माफियाओं से है गठजोड़?

स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि खनन माफिया और पुलिस-वन विभाग के अधिकारियों के बीच मिलीभगत है। बिना संरक्षण के इतने बड़े पैमाने पर अवैध खनन संभव नहीं। “हर रात ट्रकों की आवाजाही होती है, लेकिन किसी को कुछ नजर नहीं आता। क्या इतने अंधे हैं प्रशासनिक अधिकारी?” – यह सवाल अब आमजन के बीच चर्चा का विषय बन चुका है।

मुख्यमंत्री के आदेश केवल फाइलों में सिमटे
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हाल ही में स्पष्ट आदेश जारी किए थे कि अवैध खनन पर पूर्ण रूप से रोक लगाई जाए। उन्होंने कहा था, “कार्मिक राज्यहित को दें सर्वोच्च प्राथमिकता। अवैध खनन किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” उन्होंने मुख्यालय स्तर पर संयुक्त टीम बनाकर औचक निरीक्षण करने के भी निर्देश दिए थे। बावजूद इसके, भरतपुर में स्थिति जस की तस बनी हुई है।

पूर्व विधायक ग्यासाराम कोली ने भी उठाई आवाज
भाजपा के पूर्व विधायक ग्यासाराम कोली ने कहा, “यह बेहद चिंताजनक है कि मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद भी खनन माफिया खुलेआम सक्रिय हैं। पुलिस और वन विभाग की मिलीभगत से यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है। यदि सरकार ने समय रहते सख्ती नहीं दिखाई, तो पर्यावरणीय और सामाजिक संकट गहराना तय है।”

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प्राकृतिक संकट की दस्तक
जानकारों का कहना है कि इस अवैध खनन से क्षेत्र का पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है। पहाड़ों की लगातार खुदाई से मिट्टी का कटाव और भू-क्षरण हो रहा है। भूजल स्तर गिरने की आशंका गहराती जा रही है। वहीं वन्यजीवों का आवास क्षेत्र भी प्रभावित हो रहा है। ग्रामीण बताते हैं कि सिंचाई के लिए अब खेतों में पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है।

जनता में आक्रोश, प्रशासन से कार्रवाई की मांग
क्षेत्र की जनता अब खुलकर सवाल उठा रही है। लोग कह रहे हैं कि जब मुख्यमंत्री के आदेशों को अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे, तो आमजन की कौन सुनेगा? लोगों ने उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग करते हुए कहा है कि माफिया और सरकारी तंत्र के गठजोड़ को तोड़े बिना यह सिलसिला नहीं रुकेगा।

राज्य सरकार का दावा: जल्द लगेगा अवैध खनन पर ब्रेक
हाल ही में राज्य स्तर पर हुई समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने साफ निर्देश दिए कि अवैध खनन को रोकने के लिए आकस्मिक संयुक्त अभियान चलाया जाए। उन्होंने कहा कि जिम्मेदार अधिकारी मौके पर जाकर निरीक्षण करें और दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई हो। सरकार के अनुसार, मुख्यालय स्तर पर टीमें गठित की जा रही हैं जो जिले-दर-जिले दौरा कर खनन गतिविधियों की रिपोर्ट तैयार करेंगी।

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सवाल वहीं का वहीं: क्या टूटेगा माफिया का तंत्र?
अब बड़ा सवाल यही है कि क्या राज्य सरकार की चेतावनियों के बाद प्रशासन हरकत में आएगा? क्या बयाना-रूपवास क्षेत्र में जारी अवैध खनन पर अंकुश लगेगा? क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होगी या फिर यह आदेश भी केवल कागजों तक ही सिमट कर रह जाएंगे?

निष्कर्ष: जरूरत है ठोस और त्वरित कार्रवाई की
बयाना और रूपवास क्षेत्र में अवैध खनन अब सिर्फ कानून व्यवस्था की नहीं, बल्कि पर्यावरण, प्रशासनिक ईमानदारी और शासन की साख की भी परीक्षा बन चुका है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह बिना किसी दबाव के दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए और खनन माफियाओं की कमर तोड़े। तभी जाकर मुख्यमंत्री के आदेशों को जमीन पर उतारा जा सकेगा।


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