सवाई माधोपुर, 5 जून। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार तथा निर्वाचन आयुक्तगण डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी के नेतृत्व में निर्वाचन आयोग ने चुनाव संपन्न होने के उपरांत तैयार किए जाने वाले इंडेक्स कार्ड और विभिन्न सांख्यिकीय रिपोर्टों के सृजन हेतु एक सुव्यवस्थित, तकनीक-सक्षम प्रणाली को लागू किया है। यह उन्नत तंत्र पारंपरिक मैनुअल तरीकों की जगह लेगा, जो समय लेने वाले होते थे। स्वचालन और डेटा एकीकरण के माध्यम से यह नई प्रणाली रिपोर्टिंग को अधिक त्वरित और कुशल बनाती है।
इंडेक्स कार्ड एक गैर-वैधानिक, चुनावोपरांत सांख्यिकीय रिपोर्टिंग प्रारूप है, जिसे निर्वाचन आयोग द्वारा सुओ मोटो पहल के रूप में विकसित किया गया है, ताकि सभी हितधारकोंकृजैसे शोधकर्ता, अकादमिक समुदाय, नीति-निर्माता, पत्रकार, और आम जनताकृके लिए निर्वाचन संबंधी डेटा को विधानसभा/लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर सुलभ बनाया जा सके।
यह इंडेक्स कार्ड कई आयामों में जानकारी प्रसारित करने के उद्देश्य से डिज़ाइन किया गया है, जैसे उम्मीदवार, मतदाता, डाले गए मत, गिने गए मत, पार्टीवार और प्रत्याशीवार मत प्रतिशत, लिंग आधारित मतदान रुझान, क्षेत्रीय भिन्नताएं तथा राजनीतिक दलों का प्रदर्शन। इन्हीं कार्डों के आधार पर लोकसभा चुनावों हेतु लगभग 35 और विधानसभा चुनावों हेतु लगभग 14 सांख्यिकीय रिपोर्टें तैयार की जाती हैं।
इन विषयों को किया शामिल:- राज्य/संसदीय/विधानसभा क्षेत्रवार मतदाता विवरण, मतदान केंद्रों की संख्या, राज्य एवं निर्वाचन क्षेत्रवार मतदान प्रतिशत, महिला मतदाताओं की भागीदारी, राष्ट्रीय/राज्य स्तरीय दलों और पंजीकृत अज्ञात राजनीतिक दलों का प्रदर्शन, विजयी उम्मीदवारों का विश्लेषण, विस्तृत निर्वाचन क्षेत्रवार परिणाम, संक्षिप्त सारांश रिपोर्टे आदि।
यह समृद्ध और डेटा-आधारित संसाधन गहन चुनावी शोध को प्रोत्साहित करता है तथा लोकतांत्रिक विमर्श को और सशक्त बनाता है। हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि ये सांख्यिकीय रिपोर्टें केवल शैक्षणिक और शोध संबंधी उपयोग के लिए हैं और ये इंडेक्स कार्ड से प्राप्त द्वितीयक आंकड़ों पर आधारित होती हैं। मूल एवं अंतिम आंकड़े संबंधित रिटर्निंग ऑफिसरों द्वारा संधारित वैधानिक प्रपत्रों में ही मान्य माने जाते हैं।
पूर्व में यह जानकारी निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर विभिन्न वैधानिक प्रारूपों में भौतिक इंडेक्स कार्ड के माध्यम से हाथ से भरी जाती थी। इन कार्डों को बाद में ऑनलाइन प्रणाली में दर्ज किया जाता था ताकि सांख्यिकीय रिपोर्टें बनाई जा सकें। यह मैनुअल, बहु-स्तरीय प्रक्रिया समय लेने वाली थी और प्रायः आंकड़ों की उपलब्धता व प्रसार में देरी का कारण बनती थी। अब इस प्रक्रिया में तकनीकी हस्तक्षेप से तीव्रता और पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है।

2014 से लगातार पत्रकारिता कर रहे हैं। 2015 से 2021 तक गंगापुर सिटी पोर्टल (G News Portal) का बतौर एडिटर सञ्चालन किया। 2017 से 2020 तक उन्होंने दैनिक समाचार पत्र राजस्थान खोज खबर में काम किया। 2021 से 2022 तक दैनिक भास्कर डिजिटल न्यूज और साधना न्यूज़ में। 2021 से अब तक वे आवाज आपकी न्यूज पोर्टल और गंगापुर हलचल (साप्ताहिक समाचार पत्र) में संपादक और पत्रकार हैं। साथ ही स्वतंत्र पत्रकार हैं।