रामकुआं माता मंदिर के पास स्थित ऐतिहासिक कुंआ उपेक्षा का शिकार


जलस्तर गिरने से सूखा कुआं श्रद्धालुओं के माथे पर खिंची चिंता की लकीरें

प्रयागराज। जनपद के यमुनानगर शंकरगढ़ ब्लाक के मंदुरी क्षेत्र में प्रसिद्ध धार्मिक स्थल रामकुआं माता मंदिर के पास स्थित ऐतिहासिक कुएं का पानी सूखने से श्रद्धालुओं में निराशा और चिंता का माहौल है। वर्षों से यह कुआं श्रद्धालुओं के लिए न केवल आस्था का केंद्र रहा है, बल्कि यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए पेयजल का प्रमुख स्रोत भी रहा है। लेकिन बीते कुछ महीनों से कुएं में जलस्तर तेजी से घटता गया और अब स्थिति यह है कि कुएं की तली दिखाई देने लगी है।
श्रद्धालुओं की आस्था को गहरा झटका
प्रत्येक सोमवार और त्योहारों के अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालु रामकुआं माता के दर्शन के लिए आते हैं। दर्शन से पहले इस कुएं के जल से हाथ-मुँह धोना और पूजा सामग्री धोना एक परंपरा रही है। श्रद्धालु मानते हैं कि इस जल में औषधीय गुण हैं और यह जल माता की कृपा का प्रतीक माना जाता है। लेकिन अब कुएं के सूखने से श्रद्धालु न केवल असुविधा का सामना कर रहे हैं, बल्कि उनकी धार्मिक भावनाएं भी आहत हुई हैं। मंदिर परिसर में दर्शन के लिए आने वालों को अब बाहर से पानी लाना पड़ रहा है। जिससे पारंपरिक विश्वासों पर असर पड़ रहा है।
स्थानीय प्रशासन की अनदेखी पर उठे सवाल स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि वे पिछले कई महीनों से जलस्तर गिरने की जानकारी प्रशासन को दे रहे थे, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। पानी की सतत कमी और लगातार बढ़ते भूमिगत जल दोहन के चलते अब यह संकट विकराल रूप ले चुका है।ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि मंदिर क्षेत्र में जल पुनर्भरण की व्यवस्था की जाए और कुएं की सफाई एवं गहरीकरण कराया जाए ताकि भविष्य में जलस्तर स्थिर बना रहे। रामकुआं माता मंदिर के पास का यह कुआं केवल पानी का स्रोत नहीं, बल्कि जनभावनाओं और परंपरा का प्रतीक है। इसका सूखना केवल एक जल संकट नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक चेतना पर भी असर डालने वाला मुद्दा है। अब समय आ गया है कि प्रशासन, इस संकट का समाधान निकालें ताकि श्रद्धालुओं की आस्था और सुविधा दोनों सुरक्षित रह सकें।


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