जिम्मेदार बने मूक दर्शक, धड़ल्ले से चल रहा भ्रष्टाचार का खेल


ग्राम पंचायत बिहरिया में मानक को ताक पर रखकर हो रहा इंटरलॉकिंग का कार्य

प्रयागराज।भ्रष्टाचार की जड़ों ने शंकरगढ़ विकासखंड को बड़ी मजबूती से जकड़ रखा है। जिले के जिम्मेदार अधिकारी भी हो रहे भ्रष्टाचार की तरफ नजर फेरने के लिए तैयार नहीं। जनता के टैक्स के पैसे से तनख्वाह उठाने वाले भ्रष्ट कर्मचारियों का पेट ही नहीं भर रहा,भ्रष्ट कर्मचारी लूट पर आमादा हैं।सरकार भ्रष्टाचार मिटाने के लाख इंतजाम क्यों न कर ले, भ्रष्टाचारी कर्मचारी लूट बाजारी मचाने से बाज नहीं आ रहे हैं। विकासखंड शंकरगढ़ में लूट का आलम इस तरह है कि जिले के जिम्मेदार अधिकारी भी मौन होकर खबरों को पढ़कर मुस्कुरा देते हैं, लेकिन जनता के नजर में लूट मचाने वाले कर्मचारियों से अधिक दोषी जिले के जिम्मेदार अधिकारी हो रहे हैं जिनके द्वारा लगातार खबरें चलने के बाद भी भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों पर ना तो कार्यवाही की जा रही है ना ही भ्रष्टाचार की जांच की जा रही है। एयर कंडीशन गाड़ियों में घूमने वाले अधिकारियों की क्या मजाल की ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी नज़र पड़े। विकासखंड शंकरगढ़ में नियुक्त कर्मचारी भले ही मनमानी तरीके से काम करें, विकासखंड कार्यालय समय से आएं या ना आएं, अपनी ग्राम सभाओं में सचिव निवास करे ना करें, इस जनपद में इसकी खबर लेने वाला कोई नहीं। पत्रकार खबरें लिखकर भले ही चलाते रहें लेकिन पत्रकारों की खबरों का जिम्मेदारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि जिम्मेदारों की कुंभकर्णी नींद टूटेगी ही नहीं।प्रयागराज जनपद में खासकर शंकरगढ़ विकासखंड में भ्रष्ट कर्मचारियों द्वारा भ्रष्टाचार का जो खेल खेला जा रहा है उससे आम जनता परेशान है लेकिन जनता करे भी क्या उच्च अधिकारियों को इन भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ कुछ करना ही नहीं है। आंख बंद करके जिले के उच्च अधिकारी भ्रष्टाचार का खेल होता देख रहे हैं। शंकरगढ़ क्षेत्र के ग्राम पंचायत बिहरिया में इंटरलॉकिंग का काम चल रहा है। बताया गया कि बिना गिट्टी बिछाए भस्सी डालकर मानक के विपरीत ग्राम प्रधान व सचिव के मिली भगत से निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। कमलेश मिश्रा के घर से लालजी ओझा के घर तक नाली निर्माण और इंटरलॉकिंग निर्माण में भारी धांधली की गई है जो जांच का विषय है। इस बाबत जब खंड विकास अधिकारी शंकरगढ़ मनोज कुमार सिंह से जानकारी ली गई तो बताया गया कि मानक में सर्वप्रथम गिट्टी उसके बाद भस्सी डालकर इंटरलॉकिंग करने का प्रावधान है अगर ऐसा नहीं किया जा रहा है तो जांच कर संबंधित के विरुद्ध कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। अब देखने वाली बात यह होगी कि भौतिक परीक्षण कर संबंधित के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी या सिर्फ खाना पूर्ति कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।


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