भाविप की समूह गान प्रतियोगिता में झलकी राष्ट्रप्रेम, देशभक्ति एवं लोक संस्कृति की झलक

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भारत विकास परिषद ने बहाई देशभक्ति गीतों की रसधारा, 21 दलों ने दी प्रस्तुतियाँ

भीलवाड़ा। अपनी धरती अपना अम्बर, राष्ट्र भक्ति प्रेरणा का गान वंदे मातरम, धरती की शान तू है मनु की संतान तेरी मुठियों में तूफ़ान है मनुष्य तू बड़ा महान है। सरीखे देशभक्ति गीतों से रविवार को दिनभर नगर निगम का महाराणा प्रताप सभागार गुंजायमान रहा। अवसर था भारत विकास परिषद राजस्थान मध्य प्रांत की ओर से रविवार को प्रान्त स्तरीय राष्ट्रीय समूहगान प्रतियोगिता-2024 का। हिन्दी, संस्कृत एवं लोकगीत पर आधारित इस प्रतियोगिता में शक्ति का संचार, राष्ट्रप्रेम, देशभक्ति एवं लोक संस्कृति की झलक देखने को मिली। विभिन्न सत्रों में 12 घंटे चली इस प्रतियोगिता में 21 दलों ने 63 बेहतरीन प्रस्तुतियाँ देकर दर्शकों का दिल जीत लिया। सिर पर पगड़ी, विचित्र वेशभूषा, हाथों में ध्वज लिए प्रतियोगियों को देखकर ऐसा लग रहा था मानो दीवाने आजादी का जश्न मना रहे हो। क्रांति की मशाल, गीत ख़ुशी के गुनगुनाते जाए हम, अपनी धरती, अपना अम्बर, अपना हिंदुस्तान आदि गीतों ने बचपन में स्कुल की यादे ताजा कर दी। प्रांत स्तरीय प्रतियोगिता में राजसमंद, अजमेर, भीलवाड़ा, ब्यावर, केकड़ी व शाहपुरा के दलों ने भाग लिया । दलों के नाम महापुरुषों के नाम पर रखे गए । प्रतियोगिता में निर्णायक चित्तौड़गढ़ के तबला वादक विक्रांत त्रिवेदी, बांसुरी वादक डॉक्टर राजश्री कशोधन, शास्त्रीय गायिका रोशन कसरो रहे। निर्णायक मंडल ने ताल, स्वर वेशभूषा एवं गीत की प्रस्तुति को देखते हुए अंक प्रदान किए ।
इनके सहयोग ने लगाए चार चाँद
परिषद के शान्तिलाल पानगड़िया, मुकुन सिंह राठौड़, बलराज आचार्य, संजीव भारदवाज, पारसमल बोहरा, कैलाश अजमेरा, आनंद सिंह राठौड़, गुणमाला कोठारी, सर्वेश विजय, राजेश चेचाणी, रतन लाल नाहर, रामेश्वर काबरा, किशोर राजपाल, महावीर सोनी, शारदा चेचाणी, अमित सोनी, दिनेश कोगटा, सुमित जागेटिया, अनुराग व्यास, दिनेश शारदा, पवन बांगड़ आदि के सहयोग से प्रतियोगिता का सफल आयोजन हुआ।
राष्ट्र को सुरक्षित रखने के लिए उसकी संस्कृति को बचाना आवश्यक – राजन महाराज
प्रतियोगिता का श्री गणेश सुबह 9 बजे कोलकाता के मानस मर्मज्ञ राजन महाराज ने मंगलाचरण से किया । उन्होंने कहा कि राष्ट्र को सुरक्षित रखने के लिए उसकी संस्कृति को बचाना आवश्यक है। जो राष्ट्र अपनी संस्कृति को नहीं बचा पाया उस राष्ट्र को समाप्त होने में वक़्त नहीं लगा। धर्म की रक्षा से पहले राष्ट्र की रक्षा करनी चाहिए। राष्ट्र रहेगा तभी धर्म की भी रक्षा होगी। राष्ट्र ही नहीं बचेगा तो धर्म की रक्षा कैसे करेंगे। मिट्टी का बर्तन जब कच्चा होता है तो उस समय आप उसे जैसा चाहो आकार दे सकते हो। इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले बच्चों को मेने देखा है यह अभी मिट्टी के कच्चे बर्तन के समान है इस समय इन्हे जो रूप दिया जाएगा उसी में ढल जाएगा। भाविप का यह प्रयास सराहनीय है। भाविप आने वाली पीढ़ी को संस्कार व राष्ट्र भक्ति से परिपूर्ण कर रहे है। राष्ट्र व त्याग से परिपूर्ण कर रहे है। ये बहुत बड़ा प्रयास है। अध्यक्षता प्रांतीय अध्यक्ष गोविंद प्रसाद सोडाणी ने की । सत्र में विशिष्ट अतिथि मध्य प्रांत के पूर्व अध्यक्ष पारसमल बोहरा रहे । समापन समारोह में क्षेत्रीय महासचिव संदीप बाल्दी मुख्य अतिथि थे जबकि मध्य प्रांत के पूर्व अध्यक्ष कैलाश अजमेरा व रीजनल पर्यवेक्षक एवं क्षेत्रीय सचिव संपर्क संजीव भारद्वाज विशिष्ट अतिथि रहे। आयोजक शाखा नेताजी सुभाष के अध्यक्ष अमित काबरा, सचिव पंकज लोहिया, वित्त सचिव महेंद्र माहेश्वरी, प्रकल्प प्रभारी गिरधारी लाल डागा आदि ने सहयोग किया ।


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