विकास के नाम पर शंकरगढ़ ब्लॉक में हो रहा खूब फर्जीवाड़ा


शासन के आदेशों व निर्देशों की उड़ रही धज्जियाँ

प्रयागराज। जनपद के यमुनानगर शंकरगढ़ ब्लॉक की ग्राम पंचायतों में सरकारी योजनाओं के नाम पर भ्रष्टाचार की परतें एक-एक कर खुलने लगी हैं। विकास कार्यों में अनियमितता और घपलों की तस्वीरें अब साफ नजर आने लगी हैं। शासन भले ही पारदर्शिता और गुणवत्ता की दुहाई दे रहा हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है।गांव में निर्माण कार्यों के नाम पर सरकारी धन की खुलकर बंदरबांट की जा रही है। गांव की गलियों में अधूरे खड़ंजा निर्माण, टूटी नालियां और उपयोग से पहले ही जर्जर हो चुके सार्वजनिक शौचालय सरकारी तंत्र की पोल खोलते नजर आ रहे हैं। इन निर्माण कार्यों में न सिर्फ मानकों को ताक पर रखा गया, बल्कि गुणवत्ता की भी घोर अनदेखी की गई है।सूत्रों की मानें तो ग्राम प्रधान और सचिव की सांठगांठ से यह पूरा खेल रचा गया है। कई निर्माण कार्य बिना निविदा के ही शुरू कर दिए गए, और कुछ मामलों में तो निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही भुगतान दर्शा दिया गया। यही नहीं, कई योजनाएं ऐसी हैं, जिनका काम कागजों में तो पूरा दिखाया गया है, लेकिन मौके पर महज खानापूर्ति ही की गई है।चौंकाने वाली बात यह है कि इतनी बड़ी अनियमितताओं के बावजूद जिम्मेदार विभागीय अधिकारी मूकदर्शक बने बैठे हैं। न तो कार्यों की समय पर जांच हो रही है और न ही किसी के खिलाफ कार्रवाई की कोई पहल की गई है।अब बड़ा सवाल यह उठता है कि शासन द्वारा चलाई जा रही विकास योजनाओं की निगरानी आखिर कौन कर रहा है? अगर हर स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही की बात की जाती है, तो फिर ऐसे फर्जीवाड़े कैसे हो रहे हैं? प्रशासन को चाहिए कि वह तत्काल प्रभाव से मामले की जांच कराए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।ग्राम पंचायतों में व्याप्त भ्रष्टाचार की यह कहानी केवल एक गांव की नहीं, बल्कि समूचे तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान है। अगर समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो विकास के नाम पर यह लूट यूं ही जारी रहेगी।


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